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Bihar News: चुनाव से पहले स्कूल के रसोइयों का मानदेय होगा दुगना, नीतीश सरकार के फैसले से लाखों कर्मियों को राहत

Bihar News: बिहार में 2025 चुनाव से पहले 2.38 लाख स्कूल रसोइयों का मानदेय 1650 से बढ़ाकर 3000-8000 रुपये करने की योजना। 450-550 करोड़ होंगे खर्च।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 02 Jun 2025 09:26:00 AM IST

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प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar News: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार सरकार स्कूलों में कार्यरत 2 लाख 38 हजार रसोइयों और सहायकों को बड़ी राहत देने की तैयारी में है। शिक्षा विभाग मध्याह्न भोजन योजना के तहत कार्यरत रसोइयों का मासिक मानदेय वर्तमान 1650 रुपये से बढ़ाकर 3000 से 8000 रुपये तक करने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है।


इस कदम से सरकार पर हर महीने 450 से 550 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। रसोइये, जो ज्यादातर गरीब परिवारों की महिलाएँ हैं, बिहार के 70,000 स्कूलों में बच्चों के लिए भोजन तैयार करते हैं। यह पहल उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने और सामाजिक सम्मान बढ़ाने का प्रयास है।


शिक्षा विभाग ने मानदेय बढ़ोतरी के लिए छह प्रस्ताव तैयार किए हैं: 3000, 4000, 5000, 6000, 7000, और 8000 रुपये प्रतिमाह। इनमें से एक पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। वर्तमान में रसोइयों को 1650 रुपये मिलते हैं, जिसमें केंद्र सरकार 600 रुपये और राज्य सरकार 400 रुपये मध्याह्न भोजन योजना के तहत देती है, जबकि 650 रुपये राज्य टॉप-अप के रूप में देता है।


2019 में मानदेय 1250 से बढ़कर 1500 रुपये और फिर 150 रुपये की अतिरिक्त वृद्धि के साथ 1650 रुपये हुआ। तमिलनाडु में 12,500 रुपये, केरल में 12,000 रुपये, और हरियाणा में 7000 रुपये की तुलना में बिहार का मानदेय काफी कम है, जिसके कारण रसोइयों की माँग को बल मिला है।


रसोइयों की नियुक्ति प्रारंभिक स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों की संख्या के आधार पर होती है। 100 छात्रों तक एक रसोइया, 200 तक दो, और इससे अधिक के लिए तीन रसोइये रखे जाते हैं। इनका काम दैनिक मेनू के अनुसार भोजन तैयार करना और बच्चों को खिलाना है। बिहार में 1 अप्रैल 2025 से अकुशल मजदूर की न्यूनतम मजदूरी 424 रुपये प्रतिदिन, यानी लगभग 11,024 रुपये मासिक है, जबकि रसोइयों का मानदेय इससे काफी कम है।


कुछ रसोइयों ने 10,000 से 15,000 रुपये मासिक की माँग की है, जिसे समर्थन मिल रहा है। यह प्रस्ताव चुनावी साल में नीतीश सरकार के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि रसोइये, खासकर ग्रामीण महिलाएँ, एक बड़ा वोट बैंक हैं। RJD नेता तेजस्वी यादव ने भी रसोइयों के आंदोलन का समर्थन किया है, वादा करते हुए कि उनकी माँगें पूरी होंगी।


यह कदम महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण और NDA की चुनावी रणनीति को मजबूत कर सकता है, लेकिन बजट पर भारी बोझ भी डालेगा। नीतीश सरकार की यह योजना रसोइयों के लिए आर्थिक राहत और सामाजिक सम्मान की दिशा में बड़ा कदम है। अंतिम निर्णय पर सभी की नजरें हैं, क्योंकि यह न केवल रसोइयों के जीवन को बेहतर करेगा, बल्कि 2025 चुनाव में NDA की संभावनाओं को भी प्रभावित करेगा।