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Bihar News: रिजर्वेशन का लाभ नहीं देने वाले निजी विश्वविद्यालयों पर नकेल कसने की तैयारी, शिक्षा विभाग ने मांगी रिपोर्ट

Bihar News: बिहार शिक्षा विभाग ने निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण, फीस छूट, नामांकन प्रक्रिया और शैक्षणिक नीतियों के पालन की समीक्षा शुरू की है. सभी विश्वविद्यालयों को प्रेजेंटेशन देने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 17 May 2025 01:09:23 PM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Bihar News: बिहार सरकार निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण के नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जांच कर रही है। साथ ही राज्य सरकार ने प्रदेश में संचालित सभी निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण व्यवस्था के पालन की जांच के आदेश दिए हैं। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों से आरक्षण संबंधी अनुपालन की रिपोर्ट तलब की है। 


इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सामाजिक न्याय की भावना के अनुरूप सामान्य, पिछड़ा, अति पिछड़ा और अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग को नामांकन में उनका हक मिल रहा है या नहीं। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्रत्येक निजी विश्वविद्यालय को विभाग के समक्ष एक विस्तृत प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करना होगा, जिसमें आरक्षण के पालन सहित अन्य महत्वपूर्ण शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियों की जानकारी शामिल होगी। इसके लिए दिशा-निर्देश संबंधित विश्वविद्यालयों को भेजे जा चुके हैं।


जिन विश्वविद्यालयों को भेजा गया है उसमें सामाजिक कल्याण संस्था, संदीप फाउंडेशन, दवे मंगल मेमोरियल ट्रस्ट, अल-करीम एजुकेशनल ट्रस्ट, माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एवं लायंस सेवा केंद्र हास्पिटल, आल इंडिया सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी, रितनंद बेल्व्ड एजुकेशन फाउंडेशन शामिल है। इन संस्थाओं को निर्देश दिया गया है कि वे आरक्षण, फीस संरचना, परीक्षा प्रणाली, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, और डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग से संबंधित समस्त सूचनाएं निर्धारित प्रारूप में विभाग को उपलब्ध कराएं।


इसमें निर्देश के अन्दर विश्वविद्यालय के नियम एवं परिनियमों की सरकारी स्वीकृति, नामांकन प्रक्रिया और उसमें आरक्षण का अनुपालन, फीस संरचना, छूट का प्रावधान और फीस निर्धारण समिति की स्थापना, शैक्षणिक कैलेंडर, परीक्षा कैलेंडर, खेल गतिविधियों की समयबद्धता, विश्वविद्यालय की डायनामिक सेक्योर्ड वेबसाइट और उसकी अद्यतन स्थिति, प्लेसमेंट सेल की उपलब्धियां, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का पालन, एनसीआरएफ, सीबीसीएस, एबीसी-एनएडी जैसी नई शैक्षणिक प्रणालियों की स्थिति, समर्थ पोर्टल या अन्य डिजिटल टूल्स का उपयोग, वार्षिक लेखा परीक्षण, आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट और अन्य शैक्षिक गतिविधियाँ पर जानकारी मांगी गई है। 


शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह कदम शैक्षणिक पारदर्शिता बढ़ाने और छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है। यदि किसी विश्वविद्यालय द्वारा आरक्षण या शुल्क में निर्धारित नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो उस पर विधिसम्मत कार्रवाई की जा सकती है। सरकार का फोकस इस बात पर भी है कि डिजिटल पारदर्शिता के अंतर्गत विश्वविद्यालयों की वेबसाइटों पर सभी जरूरी सूचनाएं उपलब्ध हों और विद्यार्थियों को दाखिला, फीस, परीक्षा, स्कॉलरशिप और प्लेसमेंट से जुड़ी जानकारी ऑनलाइन और पारदर्शी रूप में प्राप्त हो सके।