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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 03 May 2025 04:43:58 PM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार में लगातार साइबर ठगी का मामला सामने आ रहा है। अब राजधानी पटना में एक वरिष्ठ डॉक्टर से साइबर ठगी की कोशिश करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इन दोनों ने खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का अधिकारी बताकर डॉक्टर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में फंसाने की धमकी दी और फर्जी केस "मैनेज" करने के नाम पर दो लाख रुपये की मांग की।
इस मामले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दानापुर स्थित सुल्तानपुर भट्ठा के वार्ड नंबर 15 निवासी राजेश कुमार और रंजीत कुमार को 2 मई को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार, दोनों आपस में सगे भाई हैं और पहले भी कई लोगों को इसी तरह ठग चुके हैं। ईओयू के डीआईजी (साइबर) ने आज यानि शनिवार को बताया कि सगुना मोड़ स्थित एक निजी अस्पताल के डॉक्टर ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें अज्ञात नंबर से कॉल कर ईडी की कार्रवाई का डर दिखाया गया और रुपये की मांग की गई। इस शिकायत के बाद ईओयू की साइबर टीम ने जांच शुरू की।
जांच के दौरान तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर साइबर अपराधियों की पहचान की गई और फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के मोबाइल फोन से एक फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट मिला, जो रिटायर्ड कमिश्नर "कारूराम" के नाम से बनाया गया था। इसी अकाउंट का इस्तेमाल कर कई लोगों को डराया-धमकाया गया था। जांच में यह बात सामने आई कि आरोपी सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों से भी इसी तरह की ठगी कर चुके हैं। पुलिस को उनके मोबाइल में फर्जी दस्तावेज, चैट हिस्ट्री, और बैंक लेन-देन से जुड़े महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं।
अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि ठगी की रकम किन-किन बैंक खातों में ट्रांसफर हुई और उन खातों के पीछे कौन लोग हैं। इस बात की भी आशंका है कि यह एक बड़ा साइबर ठग गिरोह है, जो सुनियोजित तरीके से काम कर रहा है। डीआईजी ने आम जनता से अपील की है कि कोई भी अनजान कॉल या मैसेज आने पर, जिसमें सरकारी अधिकारी बनकर धमकी दी जा रही हो, उसकी सूचना तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल को दें। उन्होंने यह भी कहा कि बिना जांचे-परखे किसी के कहने पर पैसे का लेन-देन न करें।
पुलिस अब यह पता लगाने में लगी है कि आरोपियों ने पूर्व में किन-किन लोगों से संपर्क किया था, और किस माध्यम से पैसे की उगाही की गई? साथ ही यह भी जाँचा जा रहा है कि फर्जी पहचान के लिए इस्तेमाल की गई सिम कार्ड और बैंक खाता किसने उपलब्ध कराया। आने वाले दिनों में इस गिरोह से जुड़े और भी लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।