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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 17 Sep 2025 07:31:30 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: बिहार के सबसे बड़े महापर्व छठ को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में भारत सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठा लिया है। संस्कृति मंत्रालय ने छठ को यूनेस्को की मानवजाति की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल करने के लिए 2026-27 चक्र में बहुराष्ट्रीय नामांकन भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए सूरीनाम, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों से सहयोग मांगा गया है। मंगलवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित बैठक में केंद्रीय संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने इन देशों के वरिष्ठ राजनयिक प्रतिनिधियों से चर्चा की। बैठक में संस्कृति मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी और IGNCA के अधिकारी भी मौजूद थे।
छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित प्राचीन त्योहार है, यह बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह चार दिनों का व्रत-उपवास और जल पूजन का पर्व है और पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। प्रवासी भारतीय समुदाय इसे मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, UAE और नीदरलैंड में भी धूमधाम से निभाते हैं। मंत्रालय ने कहा है कि यह नामांकन भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को मजबूत करेगा और जीवंत परंपराओं की रक्षा में मदद करेगा। बैठक में शामिल प्रतिनिधियों ने इस पहल का स्वागत किया है और सहयोग का आश्वासन दिया। इसके बाद सचिव ने मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, UAE और नीदरलैंड में भारतीय राजदूतों-उच्चायुक्तों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की, जहां उन्होंने समुदायों से डेटा एकत्र करने का वादा किया है।
भारत यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में 15 तत्वों के साथ अग्रणी देशों में शुमार है। इनमें योग, कुंभ मेला, कोलकाता का दुर्गा पूजा उत्सव, छऊ नृत्य, कालबेलिया लोक नृत्य-गीत, रामलीला, वेद मंत्रों का जाप और मुदियेत्तु रसलीला इत्यादि शामिल हैं। छठ का नामांकन 2025 में ही तेजी से आगे बढ़ा है। अगस्त में सांस्कृतिक मंत्रालय ने संगीत नाटक अकादमी को प्रस्ताव भेजा और छठी मैया फाउंडेशन की सिफारिश पर डॉसियर तैयार किया जा रहा है। बिहार सरकार ने भी INTACH को नॉलेज पार्टनर बनाया है जो डॉसियर तैयार करने में मदद करेगा।
इस साल छठ महापर्व अक्टूबर के अंत में मनाया जाएगा। यूनेस्को टैग मिलने से बिहार की सांस्कृतिक पहचान वैश्विक स्तर पर मजबूत होगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। बिहार के लोग इस मुहिम का स्वागत कर रहे हैं, क्योंकि छठ न सिर्फ धार्मिक बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व का पर्व है। प्रक्रिया पूरी होने पर यह भारत की 16वीं अमूर्त विरासत होगी।