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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 21 Jun 2025 09:20:13 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: बिहार के सरकारी विश्वविद्यालयों के अंतर्गत आने वाले अंगीभूत कॉलेजों में 115 प्राचार्यों की नियुक्ति जल्द होने वाली है। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा चयनित और अनुशंसित इन प्राचार्यों की नियुक्ति का मार्ग तब प्रशस्त हुआ, जब पटना उच्च न्यायालय में बीजेपी नेता डॉ. सुहेली मेहता द्वारा दायर रिट याचिका (CWJC 8530/2025) 19 जून 2025 को वापस ले लिया गया। राजभवन सचिवालय ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी संबंधित विश्वविद्यालयों (बिहार कृषि विश्वविद्यालय, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय और नालंदा खुला विश्वविद्यालय को छोड़कर) के कुलपतियों को नियुक्ति और पदस्थापन के लिए तत्काल आदेश जारी किया है।
राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थू ने सभी कुलपतियों को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि BSUSC द्वारा अनुशंसित 115 प्राचार्यों की नियुक्ति और पदस्थापन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। पत्र में स्पष्ट किया गया कि याचिका वापसी के बाद अब कोई कानूनी अड़चन नहीं है और विश्वविद्यालयों को तुरंत इस प्रक्रिया को पूरा करना होगा।
यह नियुक्ति लॉटरी सिस्टम के जरिए होगी, जैसा कि पहले निर्धारित किया गया था और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी। यह कदम राजभवन की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि प्राचार्य नियुक्तियों में किसी भी तरह की अनियमितता या लॉबिंग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह नियुक्ति बिहार के उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि कई कॉलेज लंबे समय से स्थायी प्राचार्यों की कमी से जूझ रहे हैं।
इन 115 प्राचार्यों की नियुक्ति से कॉलेजों में प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्यों में सुधार होगा, जिसका सीधा लाभ छात्रों और शिक्षकों को मिलेगा। BSUSC ने पहले ही इन पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन पूरा कर लिया था, लेकिन याचिका के कारण नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई थी। अब याचिका वापस होने से कुलपतियों को तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया गया है और जल्द ही सभी 115 प्राचार्य अपने-अपने कॉलेजों में पदस्थापित हो सकते हैं।
इस फैसले से बिहार के 116 अंगीभूत कॉलेजों में नेतृत्व की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी। राजभवन ने पहले ही साफ कर दिया था कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी और लॉटरी सिस्टम के जरिए चयनित प्राचार्यों की नियुक्ति में किसी भी तरह की सेटिंग को रोका जाएगा। यह कदम न केवल उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाएगा, बल्कि बिहार के कॉलेजों में प्रशासनिक स्थिरता भी लाएगा।