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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 28 Aug 2025 10:27:38 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: बिहार में बिजली कटौती और पीक आवर्स की समस्या को हमेशा के लिए खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। बिहार राज्य पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने 15 ग्रिड सब-स्टेशनों में 125 MW क्षमता वाले 500 MWh बैटरी इनर्जी स्टोरेज सिस्टम स्थापित करने का काम शुरू कर दिया है। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बुधवार को विभिन्न कंपनियों के साथ हुए समझौते के दौरान कहा कि यह परियोजना राज्य की ऊर्जा संरचना को नई दिशा देगी। केंद्र सरकार की वायबिलिटी गैप फंडिंग योजना के तहत 135 करोड़ रुपये की सहायता मिली है और जमा बिजली को पीक आवर्स में चार घंटे तक सप्लाई किया जाएगा।
यह परियोजना बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड द्वारा मार्च 2025 में जारी निविदा के बाद पूरी हुई है। छह प्रमुख कंपनियों को विभिन्न स्थानों पर कार्य सौंपा गया है। प्रोस्टारिम इन्फो सिस्टम्स लिमिटेड को फतुहा, जहानाबाद, रफीगंज, सीवान, बांका और किशनगंज, बार्ब्रिक प्रोजेक्ट लिमिटेड को मुजफ्फरपुर, अष्ठावन, जमुई, सूर्यम इंटरनेशनल को मोतिहारी, कुंदन ग्रीन इनर्जी को बेतिया, हिन्दुस्तान थर्मल प्रोजेक्ट्स को भागलपुर, उदाकिशनगंज और सीतामढ़ी तथा सात्विक को शिवहर।
ये सब-स्टेशन राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैले हैं जो ग्रिड स्थिरता बढ़ाएंगे। मंत्री ने कहा कि सरकार निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयासरत है और यह प्रोजेक्ट बिहार को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा। कार्यक्रम में ऊर्जा सचिव मनोज कुमार सिंह, BSPGCL के एमडी महेंद्र कुमार और BSPTCL के एमडी राहुल कुमार भी मौजूद थे।
बैटरी स्टोरेज सिस्टम से बिजली को स्टोर करके पीक डिमांड के समय रिलीज किया जाएगा जो रिन्यूएबल एनर्जी को ग्रिड में एकीकृत करने में मदद करेगा। बिहार में सौर और पवन ऊर्जा का विस्तार हो रहा है लेकिन इनकी अनियमितता से ग्रिड पर दबाव पड़ता है। यह प्रोजेक्ट 18-20 महीनों में पूरा होगा और VGF के तहत प्रति MWh 27 लाख रुपये या 30% कैपिटल कॉस्ट (जो कम हो) की सहायता मिलेगी।
इससे बिजली कटौती कम होगी और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सप्लाई मिलेगी। बिहार रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी 2025 के तहत राज्य 2029-30 तक 23,968 MW रिन्यूएबल एनर्जी और 6,100 MWh स्टोरेज क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रख चुका है।
यह परियोजना बिहार की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगी और आर्थिक विकास को गति देगी। राज्य सरकार ने पहले ही 500 MWh BESS के लिए अनुमति ली है और अब कार्यान्वयन शुरू होने से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा। भविष्य में ऐसे और प्रोजेक्ट्स से बिहार बिजली निर्यातक राज्य बन सकता है।