1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 25 Dec 2025 08:24:57 AM IST
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बिहार में भूमि रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। राज्य के सभी जिलों में जिला भू-अर्जन कार्यालयों में उपलब्ध भूमि अधिग्रहण से जुड़े दस्तावेजों की स्कैनिंग का कार्य पूरी तरह समाप्त कर लिया गया है। अब इन अभिलेखों के सुरक्षित रखरखाव के साथ-साथ स्कैनिंग कार्य पूर्ण होने का प्रमाण पत्र जिला स्तर से देना अनिवार्य कर दिया गया है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के निदेशक ने सभी जिला भू-अर्जन पदाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि स्कैन किए गए दस्तावेजों की संख्या, कुल उपलब्ध अभिलेख और स्कैनिंग से जुड़ी विस्तृत जानकारी विभाग को प्रमाण पत्र के रूप में भेजी जाए। निदेशक ने स्पष्ट किया है कि स्कैनिंग प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि कोई अभिलेख अनुपलब्ध पाया जाता है या किसी तकनीकी या अन्य समस्या का सामना करना पड़ता है, तो उसकी जानकारी रिपोर्ट में देना अनिवार्य होगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य में लगभग 4.50 करोड़ जमाबंदियों को ऑनलाइन करने का कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है। हालांकि, ऑनलाइन प्रक्रिया के दौरान कई मामलों में त्रुटियां सामने आई हैं। इन त्रुटियों के सुधार के लिए विभाग ने ‘परिमार्जन प्लस’ योजना शुरू की है, जिसके तहत समय-सीमा निर्धारित की गई है।
इस योजना के अनुसार, नाम, पिता का नाम, टाइपिंग या लिपिकीय त्रुटियों के सुधार के लिए अधिकतम 15 दिन का समय निर्धारित किया गया है। वहीं, लगान, खाता, खेसरा और अन्य तकनीकी राजस्व संबंधी गलतियों के सुधार के लिए 35 दिन और जटिल मामलों, जहां विस्तृत जांच की आवश्यकता होगी, उनके लिए 75 दिन में सुधार करने का निर्देश है।
विभाग का मानना है कि इन कदमों से भूमि रिकॉर्ड प्रणाली अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगी। इसके अलावा, आम लोगों को जमीन से जुड़े मामलों में बड़ी राहत मिलेगी और भूमि विवादों के समाधान में तेजी आएगी।