Education Department Bihar : बिहार के 44 कॉलेजों की बड़ी लापरवाही, शिक्षा विभाग का सख्त ऐक्शन तय; 10 डिग्री कॉलेजों की मान्यता होगी रद्द

बिहार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देश में पिछड़ता नजर आ रहा है। राज्य का सकल नामांकन अनुपात मात्र 17.1 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। इसकी बड़ी वजह कई कॉलेजों का राष्ट्रीय सर्वे में शामिल न होना है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 28 Dec 2025 07:47:57 AM IST

Education Department Bihar : बिहार के 44 कॉलेजों की बड़ी लापरवाही, शिक्षा विभाग का सख्त ऐक्शन तय; 10 डिग्री कॉलेजों की मान्यता होगी रद्द

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Education Department Bihar : बिहार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देश में सबसे पीछे चल रहा है। राज्य का सकल नामांकन अनुपात (ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो- जीईआर) महज 17.1 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 28.4 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। यानी स्कूली शिक्षा पूरी करने वाले 100 छात्रों में से केवल 17 ही उच्च शिक्षा में दाखिला ले पा रहे हैं। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि राज्य के शैक्षणिक भविष्य पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।


शिक्षा विभाग ने जब इस खराब प्रदर्शन की गहन पड़ताल की, तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। विभाग को पता चला कि राज्य के कई कॉलेज और शिक्षण संस्थान उच्च शिक्षा से जुड़े राष्ट्रीय सर्वे में भाग ही नहीं ले रहे हैं। इसका सीधा असर यह हुआ कि इन संस्थानों में पढ़ने वाले हजारों छात्रों का डेटा केंद्र सरकार तक पहुंच ही नहीं सका। नतीजतन, बिहार का जीईआर वास्तविक स्थिति से भी कम दर्ज हुआ।


शिक्षा मंत्रालय की ओर से हर साल कराए जाने वाले अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (AISHE) में शामिल नहीं होने वाले ऐसे कुल 44 शिक्षण संस्थानों की पहचान की गई है। इनमें 10 संबद्ध डिग्री कॉलेज, 32 नर्सिंग कॉलेज और 2 फॉर्मेसी संस्थान शामिल हैं। अब शिक्षा विभाग ने इन संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर ली है।


सबसे कड़ा कदम 10 संबद्ध डिग्री कॉलेजों के खिलाफ उठाया जाएगा। विभाग ने स्पष्ट किया है कि AISHE सर्वे में शामिल नहीं होने के कारण इन कॉलेजों की मान्यता रद्द की जाएगी। शिक्षा विभाग का मानना है कि सर्वे से बाहर रहकर ये संस्थान न केवल नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।


नर्सिंग और फॉर्मेसी संस्थानों के मामले में भी विभाग ने सख्त रुख अपनाया है। 32 नर्सिंग और 2 फॉर्मेसी कॉलेजों पर कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग जल्द ही स्वास्थ्य विभाग को पत्र भेजेगा। इसके बाद इन संस्थानों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।


गौरतलब है कि शिक्षा विभाग ने 2024-25 के AISHE सर्वे में भाग लेने के लिए पहले ही सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों और उनसे जुड़े कॉलेजों को स्पष्ट निर्देश जारी किए थे। राज्य के 39 विश्वविद्यालयों से जुड़े लगभग एक हजार से अधिक शिक्षण संस्थानों को समय पर डेटा अपलोड करने की हिदायत दी गई थी। इसके बावजूद 40 से अधिक संस्थान सर्वे में शामिल नहीं हुए।


शिक्षा विभाग का कहना है कि यदि सभी संस्थान समय पर सर्वे में भाग लेते, तो बिहार का जीईआर आंकड़ा कुछ हद तक बेहतर दिखाई देता। यहां तक कि वर्तमान में बिहार पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल से भी पीछे है, जो राज्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है।


बताया जाता है कि उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण वर्ष 2011 से हर साल कराया जा रहा है। यह पूरी तरह वेब आधारित और ऑनलाइन डाटा संग्रह प्रणाली पर आधारित है। इस सर्वे के जरिए उच्च शिक्षा से जुड़े आंकड़े जुटाए जाते हैं, जिनका उपयोग नीति निर्माण, शैक्षणिक सुधार और भविष्य की रणनीति तय करने में किया जाता है। इससे उच्च शिक्षा में नवाचार और गुणवत्ता सुधार को भी बढ़ावा मिलता है।


आंकड़ों के अनुसार, बिहार में कुल 1341 उच्च शिक्षण संस्थान (सरकारी और निजी कॉलेज) हैं, जिनमें से 1331 संस्थानों ने सर्वे में भाग लिया। वहीं राज्य के 218 नर्सिंग कॉलेजों में से 186 ने AISHE में डेटा अपलोड किया। यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थानों ने सर्वे में भाग लिया, हालांकि फिर भी कुछ संस्थानों की लापरवाही ने राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाया।


उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. एन. के. अग्रवाल ने कहा कि सभी 39 सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े कॉलेजों और संस्थानों को AISHE सर्वे में शामिल होने का निर्देश दिया गया था। समय सीमा समाप्त होने के बाद भी 40 से अधिक संस्थान सर्वे में शामिल नहीं हुए। अब ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई तय है और 10 संबद्ध डिग्री कॉलेजों की मान्यता रद्द की जाएगी।


कुल मिलाकर, शिक्षा विभाग की यह कार्रवाई बिहार में उच्च शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। अब देखना यह होगा कि इन सख्त कदमों से संस्थानों में अनुशासन आता है या नहीं और आने वाले वर्षों में बिहार का जीईआर आंकड़ा राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच पाता है या नहीं।