Bihar News: गंगा स्नान के दौरान 3 सगे भाई-बहन की मौत, शादी में शामिल होने चंद दिन पहले ही आए थे गाँव Bihar News: तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने बाइक सवार को उड़ाया, हादसे में पिता की मौत; बेटी बुरी तरह से घायल BN College: बीएन कॉलेज छात्रावास में बमबाजी से दहशत, आपसी विवाद में भिड़े छात्र Google new logo: गूगल ने 10 साल बाद बदला अपना लोगो, अब दिखेगा मॉडर्न लुक में नया 'G' आइकन Bihar Crime news: बिहार में बड़े अधिकारी भी सुरक्षित नहीं! बारात में महिला ADM के साथ मारपीट; रुपयों से भरा बैग ले भागे बदमाश CBSE 12th Pass Percentage: CBSE 2025: टॉप करने वाले राज्यों में कौन रहा अव्वल? पटना रीजन का प्रदर्शन जानिए Bihar transport department: बिहार में 4.5 लाख गाड़ियों पर लटक रही कार्रवाई की तलवार, परिवहन विभाग टैक्स डिफॉल्टरों पर होगा सख्त Bihar Crime News: सनकी बेटे ने तलवार से पिता का गला उतारा, संपत्ति के लिए बन गया हत्यारा Bihar Crime News: सनकी बेटे ने तलवार से पिता का गला उतारा, संपत्ति के लिए बन गया हत्यारा Illegal liquor deaths: इस राज्य में जहरीली शराब से 14 लोगों की मौत, मचा हाहाकार, जांच के आदेश
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 13 May 2025 09:07:13 AM IST
- फ़ोटो Google
Bihar Health Card: बिहार में आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए हेल्थ कार्ड बनवाने की दिशा में बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। राज्य में अब तक 26.15 प्रतिशत पंजीकृत बच्चों का हेल्थ आईडी कार्ड बनाया जा चुका है, जिससे बिहार पूरे देश में महाराष्ट्र के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 30.63 फीसदी है।
हालांकि, यह स्थिति कुछ ही महीनों में बदली है। दिसंबर 2024 तक राज्य के आधे से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में एक भी बच्चे का हेल्थ कार्ड नहीं बना था और पूरे राज्य में मात्र 1435 कार्ड बने थे। इसके बाद समेकित बाल विकास सेवाएं (ICDS) निदेशालय ने एक विशेष अभियान की शुरुआत की, जिसके परिणामस्वरूप महज पांच महीनों—दिसंबर से अप्रैल—में 29 लाख 8 हजार 420 बच्चों के हेल्थ आईडी कार्ड बन चुके हैं।
राज्य में करीब 95 लाख बच्चे पंजीकृत
वर्तमान में बिहार के आंगनबाड़ी केंद्रों में करीब 95 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। सरकार का लक्ष्य है कि प्रत्येक पंजीकृत बच्चे का हेल्थ कार्ड जल्द से जल्द तैयार हो।
हेल्थ कार्ड से क्या होगा लाभ?
हेल्थ आईडी कार्ड बनने के बाद बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी सभी जानकारियां डिजिटल रूप से सुरक्षित रहती हैं। इससे बीमार पड़ने की स्थिति में इलाज में तेजी आती है और डॉक्टर पुराने रिकॉर्ड देखकर सटीक इलाज कर पाते हैं। इसके साथ ही देशभर के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज, मुफ्त दवा और डॉक्टर की पर्ची की जरूरत खत्म हो जाती है। यह पहल बच्चों की सेहत को लेकर एक बड़ी तकनीकी क्रांति की शुरुआत मानी जा रही है।