1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Mon, 22 Dec 2025 12:05:22 PM IST
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Bihar Health Department: बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग राज्य के सुदूर और अंतिम छोर पर बसे लोगों तक निःशुल्क दवाएं पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है। इसके तहत स्वास्थ्य उपकेंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में बदला जा रहा है और उन्हें ड्रग एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम (DV DMS) से जोड़ा जा रहा है।
राज्य में अब तक 13,856 स्वास्थ्य संस्थानों को डीवीडीएमएस के तहत सूचीबद्ध किया जा चुका है। इनमें स्वास्थ्य उपकेंद्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। इस डिजिटल व्यवस्था के माध्यम से हर स्वास्थ्य केंद्र की आवश्यकता के अनुसार दवाओं की मांग और आपूर्ति की रियल-टाइम निगरानी संभव हो सकेगी। विभाग का मानना है कि मजबूत मैपिंग से दवाओं की किल्लत से जुड़ी शिकायतों में कमी आएगी।
सरकार की मंशा है कि आम बीमारियों का इलाज पंचायत स्तर पर ही उपलब्ध हो। बीपी, शुगर सहित अन्य गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग अब हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर की जा रही है। मरीजों को एक बार में 30 दिनों की दवा दी जा रही है, जिससे उन्हें बार-बार अस्पताल आने की जरूरत न पड़े। इससे जिला और प्रखंड अस्पतालों पर दबाव भी कम होगा और मरीजों का समय व पैसा दोनों की बचत होगी।
डीवीडीएमएस से जुड़ने के बाद प्रत्येक स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाओं की संख्या भी तय कर दी गई है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर लगभग 100 प्रकार की दवाएं, स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर 25 प्रकार की दवाएं और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 120 से 130 प्रकार की दवाएं उपलब्ध रखने के निर्देश दिए गए हैं। इससे इलाज की निरंतरता बनी रहेगी और मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदने की मजबूरी नहीं होगी।
निःशुल्क दवा वितरण के मामले में बिहार लगातार देश में अग्रणी राज्यों में बना हुआ है। नवंबर महीने में भी राज्य ने इस क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल किया है। बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए बिहार ने 81 प्रतिशत से अधिक स्कोर दर्ज किया है, जिसे स्वास्थ्य विभाग अपनी योजनाओं की सफलता मान रहा है।
दवाओं की आपूर्ति को ज़मीनी स्तर तक पहुचाने के लिए राज्य में 170 औषधि वाहन लगातार सेवाएं दे रहे हैं। जिला से प्रखंड और प्रखंड से पंचायत तक दवाएं पहुँचाने के लिए दो-स्तरीय व्यवस्था लागू की गई है। इसका नतीजा यह है कि अब दूर-दराज के स्वास्थ्य केंद्रों तक भी समय पर दवाएं पहुँच रही हैं।
डिजिटल सिस्टम, पंचायत स्तर पर इलाज और मजबूत सप्लाई चेन के माध्यम से बिहार स्वास्थ्य व्यवस्था को नई दिशा देने की कोशिश कर रहा है। यदि यह मॉडल इसी तरह प्रभावी ढंग से लागू होता रहा, तो हाशिये पर खड़े लोगों के लिए इलाज सिर्फ एक अधिकार नहीं, बल्कि एक वास्तविकता बन जाएगा।