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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 03 Dec 2025 01:55:08 PM IST
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Bihar agriculture scheme : बिहार में कृषि को मजबूत करने और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने क्लस्टर आधारित सब्जी/मसाला योजना को तेजी से लागू करने की तैयारी कर ली है। इस योजना के तहत राज्य के 26 जिलों में टमाटर, मिर्च और लहसुन की खेती का क्षेत्र बढ़ाया जाएगा। नई पहल से किसानों को न केवल गुणवत्तापूर्ण उत्पादन मिलेगा, बल्कि उन्हें अपनी उपज का उचित बाजार मूल्य मिलने में भी आसानी होगी। कृषि विकास के इस मॉडल का लक्ष्य खेतों को संगठित तरीके से विकसित करते हुए किसानों को आधुनिक तकनीक और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है।
26 जिलों को मिलेगा लाभ
यह योजना बिहार के कुल 26 जिलों में लागू की जा रही है। इनमें अररिया, औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, पूर्वी चंपारण, गया, जमुई, जहानाबाद, कैमूर, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, लखीसराय, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, पटना, पूर्णिया, रोहतास, समस्तीपुर, शेखपुरा और वैशाली शामिल हैं। इन जिलों को जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता को देखते हुए चुना गया है, ताकि अधिक से अधिक किसानों को इस योजना का सीधा लाभ मिल सके।
क्लस्टर मॉडल से खेती होगी संगठित
योजना के तहत प्रत्येक क्लस्टर का आकार 6 हेक्टेयर रखा गया है। एक क्लस्टर में कम से कम तीन किसानों की भागीदारी जरूरी होगी। सामूहिक खेती के इस मॉडल से किसानों को तकनीकी सहयोग, इनपुट सपोर्ट और उत्पादन लागत में कमी का लाभ मिलेगा। साथ ही बड़े पैमाने पर की गई खेती से उनकी उपज की बाजार में मांग और कीमत दोनों बेहतर होने की संभावना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि क्लस्टर मॉडल से किसानों में आपसी सहयोग बढ़ता है, जिससे वे उन्नत किस्मों, आधुनिक मशीनों, बेहतर सिंचाई और वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग आसानी से कर पाते हैं। इस कारण उत्पादन क्षमता में 20-30% तक वृद्धि देखी जाती है।
MIDH के तहत टमाटर और मिर्च की खेती पर 50% अनुदान
केंद्र सरकार की एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के तहत टमाटर और मिर्च (हाइब्रिड) की खेती पर प्रति हेक्टेयर लागत 0.60 लाख रुपये निर्धारित की गई है। किसानों को इस लागत पर कुल 50% अनुदान दिया जाएगा, जिसमें 40 प्रतिशत केंद्र/राज्य सरकार का हिस्सा होगा और अतिरिक्त 10 प्रतिशत टॉप-अप सहायता शामिल रहेगी।
यह राशि किसानों को एक ही किस्त में दी जाएगी। अनुदान DBT-In-Cash या DBT-In-Kind दोनों तरीकों से उपलब्ध कराया जाएगा। इससे किसानों का आर्थिक बोझ काफी कम होगा और वे उच्च गुणवत्ता वाले बीज, पौध सामग्री और आवश्यक कृषि उपकरण खरीद पाएंगे।
लहसुन की खेती पर दो किस्तों में 50% सब्सिडी
लहसुन की खेती के लिए निर्धारित लागत 1 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तय की गई है। इस पर किसानों को 40% मुख्य अनुदान और 10% टॉप-अप मिलाकर कुल 50% अनुदान प्रदान किया जाएगा। अनुदान दो किस्तों में उपलब्ध होगा पहली किस्त (60%): पौध रोपण सामग्री और INM/IPM सामग्री की खरीद के बाद दी जाएगी। दूसरी किस्त (40%): खेत की भौतिक सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद DBT-In-Cash या DBT-In-Kind के रूप में दी जाएगी। इस व्यवस्था से किसानों को भरोसा मिलता है कि उन्हें खेती के वास्तविक चरणों पर खर्च की गई राशि का भरपूर वित्तीय सहयोग मिलेगा।
कृषि उत्पादन में वृद्धि और बेहतर बाजार मूल्य का लक्ष्य
सरकार का मानना है कि टमाटर, मिर्च और लहसुन जैसी नकदी फसलों की खेती बढ़ने से किसानों की आमदनी में प्रत्यक्ष वृद्धि होगी। इन फसलों की बाजार में सालभर मांग रहती है और कीमतें भी अन्य सब्जियों की तुलना में अधिक होती हैं।
क्लस्टर आधारित खेती से बड़ी मात्रा में समान गुणवत्ता वाली उपज उपलब्ध होगी, जिससे मंडियों, प्रोसेसिंग यूनिटों और बड़े खरीदारों से किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे। इसके अलावा राज्य में वेयरहाउसिंग, कोल्ड चेन और प्रोसेसिंग उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।
आर्थिक रूप से मजबूत होंगे किसान
योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। अनुदान से खेती की लागत कम होगी, उत्पादन बढ़ेगा और उपज का बेहतर भाव मिलेगा। इससे किसानों की वार्षिक आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। कृषि विभाग का अनुमान है कि इस योजना से संबंधित जिलों में सब्जी उत्पादन 15-20% तक बढ़ सकता है, जिसका सीधा लाभ लाखों किसानों को मिलेगा।