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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 15 Sep 2025 10:39:04 AM IST
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Bihar Politics : बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़े मामलों में लगातार राजस्व चोरी की शिकायतें सामने आती रही हैं। खासकर शहरी और उससे सटे क्षेत्रों में भूमि की गलत श्रेणी दर्ज कराकर रजिस्ट्री करने की वजह से सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसी कड़ी में अब सरकार ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी और दुरुस्त करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। तिरहुत प्रमंडल के एआईजी ने आदेश जारी किया है कि नगर निगम क्षेत्र और आयोजना क्षेत्र के सभी गांवों में जमीन की रजिस्ट्री से पहले फिजिकल वेरिफिकेशन अनिवार्य होगी।
मिली जानकारी के अनुसार एआईजी ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि नगर निगम सीमा से सटे 216 गांवों में किसी भी तरह की जमीन की रजिस्ट्री करने से पहले उसकी श्रेणी की पुष्टि की जाएगी। यह जांच संबंधित अधिकारियों की टीम द्वारा की जाएगी और फिर जमीन के वास्तविक स्वरूप के आधार पर उसकी श्रेणी तय होगी। इसके बाद ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
हाल के दिनों में एआईजी कार्यालय ने कई ऐसे मामलों का खुलासा किया था, जिनमें आवासीय जमीन को विकासशील या कृषि श्रेणी (दो फसला) में दिखाकर रजिस्ट्री कर दी गई थी। स्थल जांच न होने के कारण निबंधन में गड़बड़ियां आसानी से हो रही थीं और सरकार को भारी भरकम राजस्व हानि उठानी पड़ रही थी। वहीं जमीन की बिक्री आवासीय दरों पर हो रही थी, जिससे खरीदारों को कोई नुकसान नहीं था, लेकिन सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा था।
नए आदेश के बाद मुजफ्फरपुर के मुशहरी, कांटी, कुढ़नी, मड़वन, बोचहां और मीनापुर प्रखंड के गांवों में जमीन खरीद-बिक्री की प्रक्रिया कड़ी निगरानी में होगी। ये सभी इलाके नगर निगम क्षेत्र से सटे होने के कारण आयोजन क्षेत्र में आते हैं। यहां पहले से ही भवन निर्माण के नक्शे ऑनलाइन स्वीकृत किए जा रहे हैं। अब स्थलीय जांच की अनिवार्यता से यह व्यवस्था और मजबूत होगी।
अधिकारियों का मानना है कि स्थल जांच की अनिवार्यता से अब जमीन की सही श्रेणी सुनिश्चित होगी। इससे जहां सरकार को वास्तविक राजस्व मिलेगा, वहीं खरीदार और विक्रेता दोनों पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए आगे बढ़ेंगे। अब तक कई मामलों में केवल दस्तावेजों की सतही जांच हो पाती थी, जिससे गड़बड़ियों का बड़ा हिस्सा दबा रह जाता था। नई व्यवस्था लागू होने के बाद ऐसी चोरी की गुंजाइश काफी हद तक खत्म हो जाएगी।
मुजफ्फरपुर समेत कई शहरी इलाकों में पिछले कुछ सालों में आवासीय जमीन की मांग तेज़ी से बढ़ी है। नगर निगम क्षेत्र से लगे गांवों में जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसका फायदा उठाकर बिचौलियों और कुछ विक्रेताओं ने गलत श्रेणी में जमीन निबंधित कराकर राजस्व चोरी की। एआईजी कार्यालय ने जब हाल ही में जांच की तो कई मामले सामने आए। इन्हीं सबको देखते हुए अब स्थल जांच को अनिवार्य कर दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, आयोजन क्षेत्र के सभी मौजों (गांवों) की सूची जिलों को उपलब्ध कराई जा रही है। रजिस्ट्री से पहले संबंधित अंचल अधिकारी और निबंधन विभाग की टीम मिलकर स्थल जांच करेगी। अगर जमीन की श्रेणी में गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसे सही कराकर ही रजिस्ट्री की अनुमति दी जाएगी।
इस कदम से जहां सरकार को राजस्व चोरी रोकने में बड़ी मदद मिलेगी, वहीं खरीदारों को भी जमीन की असली स्थिति की जानकारी पहले ही मिल जाएगी। हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर जांच प्रक्रिया को सुचारू और तेज़ बनाने की चुनौती रहेगी ताकि रजिस्ट्री में अनावश्यक देरी न हो।