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Bihar Bank Merger: बिहार के दोनों ग्रामीण बैंकों का मर्जर आज, जानिए.. क्या होगा नया नाम?

Bihar Bank Merger: भारत सरकार ने देशभर में ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था को सुदृढ़ और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 01 May 2025 08:19:10 AM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Bank Merger:  भारत सरकार ने देशभर में ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था को सुदृढ़ और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। आज यानि 1 मई 2025 से केंद्र सरकार की "एक राज्य – एक ग्रामीण बैंक" नीति लागू हो गई है, जिसके तहत देशभर में ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटाकर 28 कर दी गई है। इसका प्रभाव बिहार समेत 11 राज्यों में देखने को मिलेगा।


बिहार में दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का विधिवत विलय कर दिया गया है। अब यह संस्थान "बिहार ग्रामीण बैंक" के नाम से कार्य करेगा, जिसका प्रधान कार्यालय पटना में स्थित होगा। विलय के बाद ग्राहकों को बैंकिंग सेवाओं में ज्यादा पारदर्शिता, तीव्रता और डिजिटल सुविधाएं मिलेंगी।


ग्रामीण विकास मंत्रालय और नाबार्ड के समन्वय से यह परिवर्तन लागू किया गया है। यह निर्णय न केवल बैंकिंग संचालन को सरल बनाएगा, बल्कि शाखा प्रबंधन, कर्ज वितरण, और डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को ग्रामीण इलाकों में और अधिक मजबूत करेगा। इन 11 राज्यों में बैंकों का विलय हुआ है, जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान इन राज्यों में पहले एक से अधिक ग्रामीण बैंक कार्यरत थे। अब प्रत्येक राज्य में केवल एक एकीकृत ग्रामीण बैंक रहेगा।


बैंक का नाम और साइनबोर्ड बदलेगा, लेकिन अस्थायी रूप से पुराने नाम का उल्लेख भी छोटे अक्षरों में किया जाएगा। ग्राहकों के खातों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, हालांकि भविष्य में नया अकाउंट नंबर, पासबुक और चेक बुक प्रदान किए जाएंगे। पुराने चेकबुक और पासबुक अस्थायी रूप से मान्य रहेंगे। बैंक ग्राहकों को एसएमएस/नोटिफिकेशन के जरिए नया विवरण भेजेगा। कर्ज, जमा, पेंशन और अन्य सेवाएं पूर्ववत जारी रहेंगी।


ऑल इंडिया ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव डीएन त्रिवेदी ने बताया कि ग्रामीण बैंक पिछले दो दशकों से लगातार आकार और ढांचे के परिवर्तन का सामना कर रहे हैं। वर्ष 2005 से पहले देश में ग्रामीण बैंकों की संख्या 196 थी, जिन्हें कई चरणों में मिलाया गया है। यह चौथा बड़ा विलय है, और अब संख्या घटकर 28 रह गई है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि इस अंतिम एकीकरण के बाद सरकार कर्मचारियों की सेवा-शर्तों को प्रायोजक बैंकों के अनुरूप बनाएगी।


सरकार का कहना है कि इस नीति का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग प्रणाली को सुदृढ़ बनाना, संचालन को सरल करना और डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देना है। इससे बैंकिंग सेवाएं सुदूर गांवों तक आसानी से पहुंच सकेंगी। यह बदलाव भारतीय बैंकिंग इतिहास में एक अहम अध्याय के रूप में देखा जा रहा है। ग्रामीण बैंक अब अधिक संगठित और तकनीकी रूप से उन्नत होंगे, जिससे देश के लाखों ग्राहकों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।