Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025: 15 लाख नई महिला वोटर बनेगी गेमचेंजर, आखिर क्यों सभी पार्टियां कर रहीं फोकस

Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राज्य में 15 लाख नई महिला वोटरों का नाम जुड़ चुका है। यह वृद्धि कई सीटों पर चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक हो रही है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 27 Sep 2025 11:16:23 AM IST

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Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राज्य में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का नया परिदृश्य उभर कर सामने आ रहा है। राज्य के अधिकांश जिलों में महिला मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय इजाफा दर्ज किया गया है। इस बार बिहार में 15 लाख से अधिक नई महिला वोटर जुड़ी हैं, जो विभिन्न सीटों पर चुनावी समीकरण को बदलने की ताकत रखती हैं। यह वृद्धि एक वर्ष के भीतर हुई है, जिससे साफ है कि महिलाएं अब पहले से कहीं अधिक सक्रियता के साथ लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा ले रही हैं।


2024 के लोकसभा चुनाव में राज्य में कुल 3,57,71,306 महिला मतदाता थीं, जबकि 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए यह संख्या बढ़कर 3,72,57,477 हो गई है। यानी राज्य में 14,86,171 नई महिला वोटरों का जुड़ाव हुआ है। यह बदलाव न केवल संख्या में बल्कि मतदाताओं के व्यवहार में भी नई सोच और राजनीतिक जागरूकता का संकेत देता है।


विशेष रूप से मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, वैशाली और सीतामढ़ी जैसे जिलों में महिला मतदाताओं की संख्या में 50 हजार से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। इन जिलों में यह नई महिला शक्ति चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकती है। महिला वोटरों की भागीदारी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीते चुनावों में देखा गया है कि महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा है।


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि "आधी आबादी" अब सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि एक सशक्त राजनीतिक आवाज बन चुकी है। इस बार महिलाएं न केवल मतदान करने जा रही हैं, बल्कि वे अपने मुद्दों, जैसे शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और महिला सशक्तिकरण—को चुनावी विमर्श में प्रमुखता से ला रही हैं। कई महिला समूहों और युवा छात्राओं ने भी विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की मांग की है।


राजनीतिक दलों के लिए यह संकेत है कि अगर वे महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने में चूकते हैं, तो उन्हें इसका सीधा खामियाजा सीटों पर भुगतना पड़ सकता है। कम महिला उम्मीदवारों को टिकट देने वाले दलों की आलोचना भी शुरू हो चुकी है।