बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे असुदुद्दीन ओवैसी, 24 से 27 सितंबर तक निकलेंगे सीमांचल न्याय यात्रा पर

किशनगंज से AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई में 24 से 27 सितंबर तक सीमांचल न्याय यात्रा निकाली जाएगी, जिसका उद्देश्य क्षेत्र की समस्याओं पर आवाज उठाना है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 23 Sep 2025 05:14:18 PM IST

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AIMIM की सीमांचल न्याय यात्रा - फ़ोटो सोशल मीडिया

KISHANGANJ: किशनगंज जिले में सीमांचल के विकास, न्याय और अधिकारों को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में 24 सितंबर से सीमांचल न्याय यात्रा शुरू हो रही है। चार दिवसीय यह यात्रा 27 सितंबर तक चलेगी। इस दौरान किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जिलों के कई हिस्सों का दौरा किया जाएगा। ओवैसी की चार दिवसीय यात्रा की तैयारी पूरी कर ली गयी है। 


सीमांचल न्याय यात्रा का उद्धेश्य सीमांचल क्षेत्र में फैली समस्याओं जैसे बेरोजगारी, बाढ़, खराब बुनियादी सुविधाएं और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार को लेकर जन जागरूकता फैलाना और सरकार तक आवाज पहुंचाना है। ओवैसी का कहना है कि यह आंदोलन सीमांचल के लोगों को उनका हक दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। उन्होंने कहा कि चुनाव का प्रचार शुरू हो चुका है। दो महीना पहले भी आए थे तब कहा था कि हम चुनाव पूरी तरह से हिस्सा लेंगे। सीमांचल में चार दिनों की यात्रा करेंगे। अपने उम्मीदवार को कामयाब करना हमारा फिक्र है। अख्तरुल इमान साहब अकेले विधायक होते हुए उन्होंने बेबाकी के साथ सीमांचल की लड़ाई लड़ी है। इस बार भी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए हमारी पार्टी पूरी तैयारी कर रही है। 


24 सितंबर को किशनगंज के पोठिया, ठाकुरगंज, बहादुरगंज और जनता हाट जैसे इलाकों से यात्रा की शुरुआत होगी। 25 सितंबर को अररिया के विभिन्न क्षेत्रों में सभाएं होंगी, जबकि 26 सितंबर को पूर्णिया में रैलियों का आयोजन किया जाएगा। यात्रा का समापन 27 सितंबर को फिर किशनगंज लौटकर डांगरा, बलरामपुर और बरसोई जैसे इलाकों में जनसभाओं के साथ होगा। स्थानीय कार्यकर्ताओं में इस यात्रा को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। किशनगंज के एक युवा कार्यकर्ता ने कहा कि ओवैसी साहब हमारी उम्मीद हैं। सीमांचल की आवाज को अब दबाया नहीं जा सकेगा। यात्रा के हर दिन की पूरी जानकारी पोस्टरों और सोशल मीडिया के जरिए साझा की जाएगी ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ सकें। AIMIM की यह पहल सीमांचल में राजनीतिक जागरूकता और अधिकारों की लड़ाई को नया आयाम दे रही है।