जमुई रेलवे स्टेशन पर भटके तीन नाबालिग बच्चे, जीआरपी ने परिजनों से मिलाया

जमुई रेलवे स्टेशन पर भटक रहे तीन नाबालिग बच्चों को जीआरपी पुलिस ने सुरक्षित संरक्षण में लेकर उनके परिजनों से मिलाया। पुलिस की तत्परता से बड़ा हादसा टल गया।

1st Bihar Published by: Dhiraj Kumar Singh Updated Sat, 27 Dec 2025 05:06:48 PM IST

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परिजनों में खुशी का माहौल - फ़ोटो REPORTER

JAMUI: जमुई जीआरपी पुलिस ने रेलवे स्टेशन पर भटक रहे तीन नाबालिग बच्चों को सुरक्षित उनके परिजनों से मिलाकर सराहनीय कार्य किया है। पुलिस की सतर्कता और तत्परता से तीनों बच्चों को सही-सलामत उनके घर पहुंचाया जा सका।


मिली जानकारी के अनुसार, जमुई रेलवे स्टेशन पर भटकते हुए तीन नाबालिग बच्चों को जीआरपी पुलिस ने देखा। उन्हें अपनी सुरक्षा में लेकर पूछताछ की गई, जिसमें उनकी पहचान गौरव कुमार, मणिकांत और बबलू साहब के रूप में हुई। बच्चों ने बताया कि वे कजरा से लखीसराय जाने के लिए ट्रेन में सवार हुए थे, लेकिन लखीसराय स्टेशन पर गलती से जमुई जाने वाली ट्रेन में चढ़ गए, जिससे वे भटककर जमुई स्टेशन पहुंच गए। तीनों बच्चे सूरजगढ़ के निवासी हैं।


मणिकांत के नाना संजीत कुमार ने बताया कि बच्चे घर से निकले थे, लेकिन देर तक वापस नहीं लौटने पर परिजन चिंतित हो गए थे। इसी बीच मणिकांत ने एक मोबाइल नंबर के जरिए परिजनों को सूचना दी कि वे जमुई पहुंच गए हैं। इसके बाद जमुई जीआरपी ने परिजनों को बच्चों के सुरक्षित होने की जानकारी दी।


परिजनों ने बताया कि कड़ाके की ठंड के बावजूद जीआरपी पुलिस ने बच्चों का पूरा ख्याल रखा और उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराईं। बच्चों को सुरक्षित देखकर परिजनों ने जमुई जीआरपी पुलिस के प्रति आभार व्यक्त किया।प्लेटफार्म ड्यूटी में तैनात एसआई मनोज कुमार और महिला सिपाही रीता देवी ने बताया कि उन्होंने तीनों बच्चों को प्लेटफार्म पर भटकते हुए देखा था। उन्हें सुरक्षित स्थान पर लाकर पूछताछ की गई और पहचान सुनिश्चित होने के बाद परिजनों को सूचना दी गई।


जीआरपी थाना अध्यक्ष मनोज कुमार देव ने बताया कि एसआई मनोज कुमार और महिला सिपाही रीता देवी की तत्परता से बच्चों की देखभाल की गई और पूरी प्रक्रिया के बाद उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया। साथ ही उन्होंने आम लोगों से अपील की कि यदि कहीं भी कोई बच्चा भटकता हुआ दिखाई दे, तो तुरंत पुलिस या चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर सूचना दें, ताकि समय रहते बच्चे की मदद की जा सके।