ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar IAS News : शिक्षा विभाग के नए ACS ने संभाला पदभार, एस. सिद्धार्थ बने विकास आयुक्त BPSC EXAM DATE : BPSC 71वीं प्रारंभिक परीक्षा 2025, 13 सितंबर को होगी PT परीक्षा, जल्द जारी होगा एडमिट कार्ड Jobs With Tax Exemption: भारत में कौन-कौन सी नौकरियां और आय होती है टैक्स छूट? जानें... पूरी खबर Katihar Crime News: कटिहार में नाबालिग लड़का रहस्यमय तरीके से लापता, दुकानदार पर अपहरण का आरोप; आरोपी परिवार समेत फरार Bihar Teacher News: BPSC से बहाली के बाद भी नहीं पहुंचे शिक्षक, खाली है इतने पद; जानिए... Tejashwi Yadav : जब मेरे पापा ही आडवाणी जी को गिरफ्तार कर लिए, तो बेटवा नरेंद्र मोदी से डरेगा? तेजस्वी ने पटना में भरा हुंकार,कहा - कृष्ण का जन्म ही जेल में हुआ Richest Star in South Cinema: साउथ का सबसे अमीर फिल्म स्टार कौन, टॉप फाइव में किसे मिली जगह? Richest Star in South Cinema: साउथ का सबसे अमीर फिल्म स्टार कौन, टॉप फाइव में किसे मिली जगह? NITISH KUMAR CABINET MEETING : नीतीश कुमार ने फिर बुलाई कैबिनेट बैठक, महिलाओं के लिए नई योजना के बाद अब पुरुषों को लेकर भी हो सकता है एलान Param Sundari: 'गाना हिट तो फिल्म हिट’..., जाह्नवी-सिद्धार्थ की 'परम सुंदरी' ने पहले वीकेंड में किया चौंकाने वाला कलेक्शन

Pitru Paksha 2025: अगस्त्य मुनि तर्पण के साथ शुरू होगा पितृ पक्ष, इस बार 14 दिनों तक होंगे पिंडदान; जानें... पूरी डिटेल

Pitru Paksha 2025: भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा के दिन, जो इस वर्ष 7 सितंबर (शनिवार) को है, सनातन धर्मावलंबी अगस्त्य मुनि को खीरा, सुपाड़ी आदि से तर्पण करेंगे। इसके अगले दिन यानी 8 सितंबर (रविवार) को आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से पितृपक्ष की विधिवत शुरुआत होगी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 31 Aug 2025 12:53:32 PM IST

Pitru Paksha 2025

पितृपक्ष - फ़ोटो GOOGLE

Pitru Paksha 2025: भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा के दिन, जो इस वर्ष 7 सितंबर (शनिवार) को है, सनातन धर्मावलंबी अगस्त्य मुनि को खीरा, सुपाड़ी आदि से तर्पण करेंगे। इसके अगले दिन यानी 8 सितंबर (रविवार) को आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से पितृपक्ष की विधिवत शुरुआत होगी। इस दौरान श्रद्धालु अपने पूर्वजों को स्मरण करते हुए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करेंगे। इस बार पितृपक्ष में नवमी तिथि का क्षय हो रहा है, जिससे इसकी अवधि कुल 14 दिन की होगी।


धार्मिक मान्यता है कि जब पितरों को जल, तिल और श्रद्धा से तर्पण किया जाता है, तो उनकी आत्मा को तृप्ति मिलती है और वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह परंपरा सनातन धर्म में पितृ ऋण से मुक्ति पाने का एक प्रमुख मार्ग मानी जाती है।


ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा के अनुसार, श्राद्ध कर्म के दौरान पिता, पितामह, प्रपितामह, और माता, पितामही, प्रपितामही के साथ-साथ मातामह, प्रमातामह, वृद्ध प्रमातामह एवं मातामही, प्रमातामही, वृद्ध प्रमातामही तक का गोत्र और नाम लेकर तर्पण किया जाता है। इसके अतिरिक्त सभी ज्ञात-अज्ञात स्वर्गवासी संबंधियों का स्मरण भी किया जाता है।


पितृपक्ष का समापन 21 सितंबर (रविवार) को अमावस्या तिथि के दिन होगा, जिसे सर्वपितृ अमावस्या, पितृ विसर्जन या महालया पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ब्राह्मण भोजन, स्नान-दान और विशेष श्राद्ध अनुष्ठान करके पितरों को विदाई दी जाती है। अमावस्या तिथि सूर्योदय से लेकर रात 12:28 बजे तक मान्य होगी। 20 सितंबर (शनिवार) को चतुर्दशी तिथि होगी, जो उन पितरों के श्राद्ध के लिए होती है जिनकी मृत्यु शस्त्र आदि कारणों से हुई हो।


पितृपक्ष में विभिन्न तिथियों पर अलग-अलग प्रकार के श्राद्ध करने की परंपरा है, जिन पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है। अकाल मृत्यु, आत्महत्या या हत्या से मृत पितरों का श्राद्ध चतुर्थी तिथि (11 सितंबर) को किया जाता है। पति के जीवित रहने पर पत्नी का श्राद्ध नवमी तिथि (15 सितंबर) को किया जाता है। सन्यासी एवं साधुओं का श्राद्ध एकादशी तिथि (17 सितंबर) को किया जाता है। बाकी सभी पितरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार ही किया जाता है। 


हिंदू शास्त्रों में तीन प्रमुख ऋण बताए गए हैं देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। इनमें से पितृ ऋण को चुकाने के लिए पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और दान से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे अपने वंशजों को आरोग्य, धन और संतान का आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध को "पितरों का यज्ञ" कहा गया है, जिसमें केवल दान ही नहीं, बल्कि श्रद्धा और भावनाएं भी महत्त्व रखती हैं। यह हमारी धार्मिक संस्कृति और पारिवारिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है।


तर्पण की तिथि

अगस्त्य ऋषि तर्पण- शनिवार 7 सितंबर

पितृपक्ष आरंभ (प्रतिपदा) - रविवार 8 सितंबर

चतुर्थी श्राद्ध - गुरुवार 11 सितंबर

मातृ नवमी - सोमवार 15 सितंबर

इंदिरा एकादशी- बुधवार 17 सितंबर

चतुर्दशी श्राद्ध- शनिवार 20 सितंबर

अमावस्या, महालया व सर्वपितृ विसर्जन - रविवार 21 सितंबर