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Shattila Ekadashi 2025: षट्तिला एकादशी 2025; महत्व, व्रत और लाभ

षट्तिला एकादशी का व्रत विशेष रूप से तिल के महत्व के कारण प्रसिद्ध है, और इसे "षट्तिला" नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन छह प्रकार से तिल का उपयोग किया जाता है।

Shattila Ekadashi 2025

25-Jan-2025 07:40 AM

By First Bihar

Shattila Ekadashi 2025: षट्तिला एकादशी हिंदू धर्म में माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है और इसका विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन तिल का विशेष उपयोग किया जाता है। इस एकादशी का नाम "षट्तिला" इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन छह प्रकार से तिल का उपयोग किया जाता है। इस साल यह पर्व 25 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा।


षट्तिला एकादशी का महत्व

षट्तिला एकादशी का महत्व इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा में निहित है। इस दिन तिल का दान और उपयोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि तिल से स्नान, तिल से तर्पण, तिल का दान, तिल युक्त भोजन, तिल से हवन और तिल मिश्रित जल का सेवन करने से पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।


तिल के बारे में यह मान्यता है कि तिल के दान से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और वह पुण्य की प्राप्ति करता है। इसलिए इस दिन तिल का प्रयोग न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है।


षट्तिला एकादशी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय होती है। यह माना जाता है कि एकादशी व्रत से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। इसके साथ ही, एकादशी व्रत करने से दरिद्रता दूर होती है, शत्रुओं का नाश होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।


षट्तिला एकादशी का व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और तिल का भोग अर्पित करने के लिए किया जाता है। इस दिन तिल से स्नान, तिल का दान, तिल से हवन, तिल मिश्रित जल का सेवन, और तिल युक्त भोजन करना महत्वपूर्ण होता है। इसके फलस्वरूप व्यक्ति को आत्मिक शांति, धन-धान्य की वृद्धि, और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।


षट्तिला एकादशी व्रत विधि

षट्तिला एकादशी के दिन भक्त विशेष रूप से छह प्रकार से तिल का उपयोग करते हैं:


तिल से स्नान – तिल के तेल से स्नान करना।

तिल से तर्पण – तिल के साथ तर्पण करना।

तिल का दान – तिल का दान करना।

तिल युक्त भोजन – तिल को भोजन में शामिल करना।

तिल से हवन – तिल से हवन करना।

तिल मिश्रित जल का सेवन – तिल के मिश्रण से जल का सेवन करना।

इन विधियों से भक्त भगवान विष्णु को प्रसन्न करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। तिल का दान इस दिन विशेष रूप से पुण्य दायक माना जाता है और इसे पापों से मुक्ति का कारण माना जाता है।


एकादशी व्रत के लाभ

एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को कई प्रकार के लाभ होते हैं:

पापों से मुक्ति – एकादशी व्रत से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।

धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति – व्रत करने से धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।

आध्यात्मिक उन्नति – एकादशी व्रत से मानसिक शांति मिलती है और आत्मिक उन्नति होती है।

मोक्ष की प्राप्ति – एकादशी व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खोलता है।

पितरों का आशीर्वाद – इस दिन व्रत करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि रहती है।


स्कंद पुराण में एकादशी व्रत का महत्व

स्कंद पुराण में कहा गया है कि एकादशी व्रत यज्ञ और अन्य पुण्य कार्यों से भी अधिक फल देने वाला होता है। एकादशी व्रत से व्यक्ति को अक्षय पुण्य मिलता है और घर-परिवार में सुख और शांति बनी रहती है। भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था और यह व्रत पापों को समाप्त करने, मनोबल को बढ़ाने और मोक्ष की प्राप्ति का सर्वोत्तम तरीका माना गया है।


षट्तिला एकादशी का व्रत विशेष रूप से तिल का दान और पूजा करने से जुड़ा हुआ है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और तिल से संबंधित विभिन्न धार्मिक क्रियाओं के द्वारा पुण्य अर्जित करने का है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति, सुख-समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। षट्तिला एकादशी का व्रत जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है और भक्तों को हर प्रकार से सुखी और समृद्ध बनाता है।