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25-Sep-2025 12:32 PM
By First Bihar
Bihar Politcis: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में जबरदस्त गहमागहमी देखी जा रही है। सभी प्रमुख दल अपने-अपने स्तर पर चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं और गठबंधनों के स्वरूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसी क्रम में आजादी के बाद पहली बार पटना में कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की महत्वपूर्ण बैठक बुधवार, 24 सितंबर को आयोजित की गई। यह बैठक कांग्रेस के लिए ऐतिहासिक और रणनीतिक दोनों लिहाज से अहम मानी जा रही है, खासकर ऐसे समय में जब पार्टी राज्य में अपनी गिरती राजनीतिक पकड़ को दोबारा मजबूत करने के प्रयास में लगी है।
दूसरी ओर, बीजेपी भी बिहार में अपनी चुनावी रणनीति को धार देने के लिए दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक कर रही है। इस बैठक से पार्टी की आगामी अभियान रणनीति और गठबंधन समीकरणों की दिशा तय होनी है। बीजेपी की बैठक के बाद सभी की निगाहें इसपर टिकी हैं कि वह किन मुद्दों को प्राथमिकता देती है और किन चेहरों को आगे लाती है।
इस सियासी सरगर्मी के बीच सूत्रों के मुताबिक महागठबंधन में सीट बंटवारे का फॉर्मूला सामने आया है, जो आने वाले विधानसभा चुनाव में विपक्ष की रणनीति का मूल आधार बनेगा। बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सबसे बड़े घटक दल के रूप में 141 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है। कांग्रेस को 58 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि वाम दलों को संयुक्त रूप से 35 सीटें दी जा सकती हैं। लेफ्ट में मुख्यतः भाकपा (माले), भाकपा (CPI), और माकपा (CPM) शामिल हैं। महागठबंधन में शामिल मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को 15 सीटें मिल सकती हैं।
सूत्रों की मानें तो यह फॉर्मूला अंतिम नहीं है और इसमें थोड़ी बहुत फेरबदल की गुंजाइश बनी हुई है। यदि पशुपति पारस की RLJP और हेमंत सोरेन की JMM जैसे अन्य दल गठबंधन में शामिल होते हैं, तो उन्हें 2-2 सीटें दी जा सकती हैं।
जानकारी के मुताबिक सीटों के इस बंटवारे में 2020 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को आधार बनाया गया है। उस चुनाव में RJD ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 75 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। RJD का स्ट्राइक रेट 52% था। वहीं, कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन उसे महज 19 सीटें मिली थीं स्ट्राइक रेट 27% रहा। यही कारण है कि इस बार कांग्रेस को कम सीटें दी जा रही हैं।
वाम दलों ने 2020 में बेहतर प्रदर्शन किया था। भाकपा (माले) ने 19 में से 12 सीटें जीतकर 63% से अधिक स्ट्राइक रेट दर्ज किया था, जबकि भाकपा और माकपा को दो-दो सीटें मिली थीं। कुल मिलाकर वाम दलों का स्ट्राइक रेट 55% के आसपास था। इसलिए इस बार उन्हें अधिक सीटें दी जा रही हैं।
2024 के हालिया लोकसभा चुनाव के परिणाम भी विधानसभा सीट बंटवारे को प्रभावित कर रहे हैं। आरजेडी ने 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल 4 सीटें जीत सकी, जबकि कांग्रेस ने 9 सीटों में से 3 पर जीत दर्ज की। वाम दलों ने 5 सीटों पर चुनाव लड़ा और 2 सीटें जीतीं। इन नतीजों ने कांग्रेस को थोड़ा आत्मविश्वास दिया है, जिसकी वजह से वह इस बार 65 सीटों की मांग कर रही है। हालांकि, महागठबंधन का आंतरिक समीकरण यही संकेत दे रहा है कि कांग्रेस को अंततः 58 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है, जो पिछली बार से लगभग 17% कम हैं।
इसके अलावा मुकेश सहनी की VIP पार्टी 2020 में बीजेपी के साथ गठबंधन में थी और 11 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस बार वह महागठबंधन के साथ है और उसे 15 सीटें मिल सकती हैं। यह सीटें RJD या कांग्रेस के कोटे से ही जाएंगी, जिससे दोनों ही दलों के लिए सीट बंटवारे का समीकरण और जटिल हो गया है।
जहां महागठबंधन में सीट बंटवारे की तस्वीर धीरे-धीरे साफ हो रही है, वहीं बीजेपी अब तक अपनी रणनीति को लेकर पर्दे में है। दो दिवसीय चुनावी मंथन बैठक के बाद बीजेपी की योजना और प्रत्याशियों के चयन को लेकर तस्वीर साफ होगी। इसके लिए वह जातीय समीकरण, लोकसभा चुनाव में मिले जन समर्थन और पीएम मोदी की लोकप्रियता का उपयोग करेगी।
बहरहाल, बिहार की राजनीति एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर है। जहां महागठबंधन में सीटों की खींचतान चल रही है, वहीं बीजेपी चुपचाप अपनी रणनीति को धार देने में जुटी है। आने वाले दिनों में यदि महागठबंधन अपने फॉर्मूले पर सहमति बना लेता है और बीजेपी अपनी योजना का खुलासा करती है, तो बिहार का विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प और टकरावपूर्ण हो सकता है।