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बाढ़ ने तोड़ा 1987 का रिकॉर्ड, चूहों ने तटबंध को नहीं पहुंचाया नुकसान

बाढ़ ने तोड़ा 1987 का रिकॉर्ड, चूहों ने तटबंध को नहीं पहुंचाया नुकसान

16-Jul-2019 02:32 PM

By 9

PATNA:  बिहार के कई जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं. कई इलाकों में घरों में पानी घुसने के चलते लोगों को जीना मुश्किल है. गांव के साथ-साथ कई शहरों में भी बाढ़ का पानी घुस चुका है. कई जिलों में बांध के टूटन से नए इलाकों में बाढ़ का पानी फैल गया है. लेकिन सूबे के जल संसाधन मंत्री को इसमें चूहे की कारगुजारी नजर आती है. जल संसाधन मंत्री कहते हैं कि चूहे मिट्टी को काट देते हैं जिससे बांधों को नुकसान पहुंचता है और बांध टूट जाते हैं. लेकिन मंत्री महोदय का यह कौन समझाए कि इसके लिए केवल चूहे ही जिम्मेदार नहीं हैं. पूरा साल प्रशासन तंत्र सोया रहता है. जिन बांधों की मरम्मति होनी चाहिए उन बांधों को सालों भर कोई झांकने तक नहीं जाता. अगर चूहों ने बांधों में छेद भी किया है तो उसे आखिर भरेगा कौन ? https://www.youtube.com/watch?v=3Ixs7IghYK8 चूहों पर बाढ़ का ठीकरा ! क्या चूहों को दोषी बताकर मंत्री महोदय अपने सरकार की नाकामियों को छुपा सकते हैं. बांधों के निर्माण को लेकर राज्य सरकार सालाना करोड़ों रुपए खर्च करती है. समय से पहले उसे मजबूत और टिकाउ बनाने की बात कहती है. बाढ़ आने से पहले सभी तैयारियों को पूरा करने की बात कहती है. लेकिन जब आफत आती है तो सरकार की सारी तैयारियां धरी की धरी रह जाती हैं और फिर शुरु होता है एक दूसरे पर आरोपों का दौर. ललन सिंह ने भी चूहों को बताया था दोषी कुछ इसी तरह की बात पूर्व जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्प ललन सिंह ने भी कही थी. उस समय उनके बयान की भी खूब किरकिरी हुई थी. सवाल यही है कि जब ललन सिंह को भी उस समय पता था कि चूहे बांधों को नुकसान पहुंचाते हैं तो आखिर सरकार ने इसे दूर करने के उपायों पर ध्यान क्यों नहीं दिया. सीएम कर रहे हवाई सर्वेक्षण बिहार साल 1987 के बाद एक बार फिर से भीषण बाढ़ की चपेट में है और कई जिलों में त्राहिमाम की हालत है. सरकार के तमाम दावों के बावजूद लोगों तक सरकारी राहत नहीं पहुंचायी जा सकी है. सीएम नीतीश कुमार खुद बाढ़ प्रभावित इलाकों को हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं और लोगों का हाल जान रहे हैं. लेकिन लगातार हो रही भीषण बारिश ने लोगों की समस्याएं कम करने की बजाए उसे बढ़ा ही दिया है. पटना से गणेश की रिपोर्ट