Bihar election 2025 : पवन सिंह और खेसारी लाल यादव में कौन है ज्यादा अमीर? जानिए दोनों की संपत्ति और राजनीतिक जुड़ाव Train Accident: बिहार में मिलिट्री गुड्स ट्रेन के दो खाली डिब्बे पटरी से उतरे, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी पटना में जिम के गेट पर झोले में मिली नवजात: मच्छरों से सूजा चेहरा देखकर जिम ऑनर ने गोद लिया, नाम रखा ‘एंजल’ Bihar Assembly Election : दूसरे चरण के मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम, 20 जिलों में तैनात 1650 कंपनियां और 4 लाख जवान UPSC IFS Mains 2025: IFS मेन्स परीक्षा 2025: UPSC ने एडमिट कार्ड जारी किया, पूरी जानकारी यहां Bihar election : बिहार चुनाव में अचानक घनबेरिया का पेड़ा बना चर्चा का स्वाद, अमित शाह ने भी की जमुई की मिठास की तारीफ; जानिए क्या है इसकी पूरी कहानी Success Story: जानिए कौन हैं एनकाउंटर स्पेशलिस्ट तदाशा मिश्रा? आखिर क्यों झारखंड में मिली इतनी बड़ी जिम्मेदारी Bihar election 2025 : मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट न देने पर बीजेपी का बड़ा बयान,कहा - हम इस तरह के प्रत्याशी ... Bihar Election 2025: चुनावी ड्यूटी से लौटते समय ITBP जवानों की बस धू-धू कर जली, बड़ा हादसा होते-होते टला Bihar Crime News: बिहार के इस जिले में युवक की बेरहमी से हत्या, मंदिर के पास मिला शव
20-Dec-2022 07:01 PM
DESK: छपरा में जहरीली शराब पीने से 80 से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी है। यह मामला बिहार विधानसभा सत्र के दौरान तो छाया ही रहा। विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इसे लेकर नीतीश सरकार का घेराव किया और जमकर हमला बोला। इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। वही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी इस मामले की जांच कर रही है। छपरा शराबकांड की गूंज अब संसद भवन में भी सुनाई देने लगी है। जेडीयू सांसद ललन सिंह ने यहां तक कह दिया कि छपरा शराबकांड राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का मामला कहां से आ गया? यदि बिहार में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जांच कर सकती है तो कर्नाटक और गुजरात में क्यों नहीं। जेडीयू के इस सवाल का जवाब बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने दिया है।
बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वतंत्र संस्था है। यदि मानवाधिकार आयोग की टीम बिहार आ रही है तो इसमें घबराने की क्या बात है? नीतीश कुमार और उनके नेता परेशान क्यों हैं? यदि आपने कुछ गलत नहीं किया तो फिर डरने की क्या बात है?
सुशील मोदी ने कहा कि यदि किसी राज्य का मुख्यमंत्री इतना निर्दयी और संवेदनहीन हो जाए। वह कहे कि जो पियेगा वो मरेगा और मृतक के आश्रितों को मुआवजा देने से भी इनकार करे तो क्या मानवाधिकार आयोग को वहां जाने की आवश्यकता नहीं है? सौ से ज्यादा लोग मर जाए और सरकार कहे की केवल 38 लोग ही मरे हैं।
वैसे राज्य में क्या मानवाधिकार आयोग को जांच के लिए नहीं जाना चाहिए? सुशील मोदी ने कहा कि क्या गरीब का कोई मानवाधिकार नहीं है। विधवा और अनाथ बच्चों का कोई अधिकार नहीं है। नीतीश कुमार जी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम को पूरी बात बताइए उन्हें छपरा शराबकांड की जांच करने दीजिए। उनके काम में अड़ंगा नहीं डालिए।
जेडीयू सांसद ललन सिंह ने जब संसद में कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम बिहार के अलावे कर्नाटक और गुजरात क्यों नहीं जाती। ललन सिंह के सवालों का सुशील मोदी ने जवाब दिया है। सुशील मोदी ने कहा कि बीजेपी और गैर बीजेपी राज्य से मतलब नहीं है। मानवाधिकार आयोग की टीम बीजेपी शासित राज्यों में भी जाती है।
गुजरात में जब ब्रिज टूटा और शराबकांड हुआ था तब वहां की राज्य सरकार को नोटिस देने का काम मानवाधिकार आयोग ने किया था। मध्य प्रदेश के ग्वालियर और यूपी के मेंटल हेल्थ सेंटर की जांच के लिए भी मानवाधिकार आयोग की पूरी टीम गयी थी। सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में जब हमलोग सरकार में थे तब एक दर्जन से ज्यादा जहरीली शराब से जुड़े मामलों में बिहार सरकार को नोटिस मानवाधिकार ने दिया। डीएम और डीजीपी को नोटिस दिया गया। दो मामले में तो तीन-तीन लाख देने का निर्देश भी आयोग ने दिया। ऐसे में बीजेपी और गैर बीजेपी से कोई मतलब नहीं है। मानवाधिकार आयोग के काम में अड़ंगा नहीं डालें उन्हें उनका काम करने दें।