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13-Jun-2023 06:42 PM
By Ganesh Smrat
PATNA: HAM पार्टी के संरक्षक व बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन के नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद सियासत तेज हो गई है। अब जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का बयान सामने आया है। ललन सिंह ने कहा कि कितना छोटा-छोटा दुकान चलेगा। हम मांझी की पार्टी का विलय चाहते थे जिसके लिए वे तैयार नहीं हुए। मंत्री संतोष सुमन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
संतोष सुमन के इस्तीफे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंजूर भी कर लिया है। इस्तीफे के बाद संतोष मांझी ने कहा था कि नीतीश कुमार हम का जेडीयू में विलय करने का दबाव बना रहे थे। जबकि जेडीयू का कहना है कि मांझी जैसे लोग आते-जाते रहते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। संतोष सुमन के इस्तीफा पर बीजेपी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने अहंकार में किसी का सम्मान नहीं करते हैं।
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पटना में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि संतोष मांझी ने त्यागपत्र दिया जिसे मुख्यमंत्री जी ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने यह लिखा है कि निजी कारणों से साथ चलने में असमर्थ हैं। इसलिए हम लोग मानते हैं कि उन्होंने महागठबंधन छोड़ दिया। मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि कब विस्तार करेंगे किसकों बनाएंगे कब बनाएंगे। विलय करने की बात थी यदि आप पार्टी अलग चला रहे हैं। अलग-अलग छोटा छोटा दुकान चलाने से क्या फायदा है। उन्होंने कहा कि हम आपके साथ आगे चलने में असमर्थ हैं।
वही विजय चौधरी ने कहा कि हमारे पास तो उनके इस्तीफे की कॉपी है जिसमें उन्होंन साफ लिखा है कि निजी कारणों से अब साथ चलने में असमर्थ हैं। अब संतोष सुमन मंत्री नहीं है। इसका मतलब है कि वे अब महागठबंधन में नहीं है। दो पार्टी यदि विलय करती है तो ज्यादा मजबूत पार्टी बनती है। लेकिन उन्होंने स्वयं कहा कि वे मुख्यमंत्री के साथ नहीं चलेंगे। पूरे देश की पार्टियां एक हो रही है। पूरा विपक्ष 23 जून को भाजपा के खिलाफ एक मंच पर आ रही है।
जबकि तेजस्वी यादव ने कहा कि मांझी जी पहले हम लोगों के गठबंधन में थे तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मांझी जी को बिहार का सीएम बनाया और संतोष जी को मंत्री बनाया। कोई ये नहीं कह सकता कि नीतीश कुमार ने मांझी जी को सम्मान नहीं दिया। जब हम फिर से महागठबंधन में आए तो सबकों साथ लेकर आए। संतोष सुमन की चिट्ठी में लिखा हुआ है कि निजी कारणों से वे महागठबंधन के साथ नहीं चल सकते। अब वे महागठबंधन का अंग नहीं बनना चाहते।