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11-Sep-2023 09:57 PM
By ARYAN SHARMA
PATNA: राजद का ये नजारा दिलचस्प है. उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पिछले तीन महीने से पटना में जमे हैं. रविवार को वे पूजा करने के लिए दो दिनों के लिए देवघर निकले. जैसे ही लालू पटना से बाहर निकले, वैसे ही उनकी पार्टी ने लोकसभा चुनाव की मुहिम की औपचारिक शुरूआत कर दी. दो दिनों तक लालू पटना से बाहर रहे और इन्हीं दो दिनों में राजद के राज्यभर के नेताओं की पटना में बैठक हुई. ऐसे में सियासी जानकार सवाल उठा रहे हैं-क्या राजद में लालू युग की समाप्ति हो गयी है. राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भले ही उनके पास हो, सारा पावर तेजस्वी यादव के पास शिफ्ट कर गया है.
लालू की गैरमौजूदगी में चुनावी मुहिम की शुरूआत
बता दें कि रविवार से पटना में पूरे बिहार के राजद नेताओं की बैठक हो ही है. रविवार को लालू यादव के पटना से देवघर रवाना होने के बाद तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम होने के नाते मिले सरकारी आवास में राजद नेताओं की बैठक शुरू हुई. 10 सितंबर को तेजस्वी यादव ने उत्तर बिहार के पांच प्रमंडलों तिरहुत, सारण, दरभंगा, कोसी एवं पूर्णिया के सभी जिलों के पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. आज यानि सोमवार को दक्षिण बिहार के चार प्रमंडल के नेताओं के साथ बैठक हुई.
तेजस्वी यादव द्वारा बुलायी गयी इस बैठक में राजद के तमाम विधायक, पूर्व विधायक, 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी के साथ साथ, प्रदेश महासचिव और जिलाध्यक्ष शामिल हुए. दो दिनों की इस बैठक के साथ ही राजद ने 2024 के लोकसभा चुनाव के अपने अभियान की शुरूआत कर दी. तेजस्वी की बैठक में चर्चा का मुख्य विषय था कि सभी बूथों पर 15 सदस्यों की बूथ कमेटी का गठन किया जाये. उस बूथ कमेटी के सहारे राजद के एजेंडे को लोगों तक पहुंचाया जाये. तेजस्वी यादव ने साफ कहा कि उनकी पार्टी ने लोकसभा चुनाव की मुहिम को इस बैठक के साथ शुरू कर दिया है.
लालू का रोल खत्म
वैसे राजद के नेता काफी पहले से ये समझ रहे हैं कि उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद का रोल क्या रह गया है. चर्चा यही है कि 2022 में नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाने का फैसला भी तेजस्वी यादव का था. उसके पार्टी और सरकार के स्तर पर जो भी फैसले लिये गये वह तेजस्वी यादव ने ही लिया. लेकिन ये अंदर की बात थी. अब ये खुल कर सामने आने लगा है कि लालू यादव राजद में गेस्ट बन कर रह गये हैं.
राजद के एक वरीय नेता ने फर्स्ट बिहार को बताया कि राजद में पावर शिफ्ट होने का सिलसिला तो 2020 के विधानसभा चुनाव से ही शुरू हो गया था. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ही गठबंधन से लेकर उम्मीदवार चुनने का फैसला ले रहे थे. हालांकि उस वक्त लालू यादव जेल में थे लेकिन वे संपर्क में थे. फिर भी उनसे काफी कम राय मशविरा किया जा रहा था. 2020 से 2022 तक लालू यादव तबीयत खराब होने के कारण भी परेशान रहे. ऐसे में धीरे-धीरे सारा पावर तेजस्वी यादव के पास शिफ्ट होता गया. राजद नेता ने कहा कि 2022 में नीतीश कुमार के साथ जाने का फैसला भी तेजस्वी यादव का अपना फैसला था. लालू यादव को अपने बेटे की बात माननी पडी थी.
राजद के कई नेताओं ने कहा कि लालू की गैरमौजूदगी में लोकसभा चुनाव के अभियान की शुरूआत करने का फैसला भी साफ साफ संकेत दे रहा है कि लालू यादव का रोल क्या रह गया है. पटना में पार्टी की दो दिनों की बैठक में राष्ट्रीय प्रधान महासचिव, राष्ट्रीय महासचिव जैसे पदाधिकारी मौजूद थे लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं थे. ऐसा भी नहीं था कि लालू यादव पटना में नहीं थे. वे तीन महीने से लगातार पटना में हैं. दो दिनों के लिए वे पूजा करने देवघर गये थे. अगर पार्टी में उनका रोल होता तो बैठक दो दिन बाद भी की जा सकती थी. लेकिन बैठक तभी हुई जब लालू यादव पटना से बाहर गये.