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17-Aug-2021 06:35 PM
PATNA: नीतीश कुमार के खास सिपाहसलार औऱ सबसे विश्वसनीय सहयोगी आरसीपी सिंह के लिए उनकी सहयोगी पार्टी भाजपा इतना उत्साहित क्यों है? बीजेपी के उत्साह की एक बानगी देखिये. मंत्री बनने के बाद 16 अगस्त को आरसीपी सिंह पटना पहुंचे थे. आज यानि मंगलवार को आऱसीपी नालंदा पहुंच गये. नालंदा में उनके स्वागत के लिए जो लोग पहुंचे उनमें बीजेपी के लोग ही ज्यादा नजर आये. इसका सबूत भी देखने को मिल गया. आऱसीपी के स्वागत में आय़े लोगों के हाथों में जेडीयू का जितना झंडा था उससे दोगुनी से भी ज्यादा तादाद उनकी थी जिनके हाथों में बीजेपी का झंडा लहरा रहा था.
बीजेपी में इतनी खुशी क्यों
आरसीपी सिंह जेडीयू के नेता है. जेडीयू कोटे से केंद्र में मंत्री बने हैं. सोमवार को ही जेडीयू कार्यालय में पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बात की औऱ कहा कि वे संगठन चलाते रहेंगे. मंगलवार को वे जेडीयू के नेता की हैसियत से नालंदा पहुंचे थे. ये किसी मंत्र का सरकारी कार्यक्रम नहीं था. हमने बीजेपी के किसी केंद्रीय मंत्री के कार्यक्रम में जेडीयू का झंडा लेकर स्वागत करने आने वालों को कभी नहीं देखा. लेकिन नालंदा में बड़ी तादाद में बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता आऱसीपी सिंह का स्वागत करने पहुंच गये थे.
बीजेपी के एक स्थानीय नेता ने बताया कि उपर से ही आदेश आया था. आऱसीपी बाबू नालंदा आयें तो उनके स्वागत में कोई कसर बाकी नहीं छोड़नी है. लिहाजा बीजेपी वाले दल-बल के साथ पहुंचे. झंडा बैनर लेकर पहुंचे. फर्स्ट बिहार के पास वह वीडियो है जिसमें आरसीपी सिंह का स्वागत करने आये लोगों के हाथों में जेडीयू से काफी ज्यादा बीजेपी का झंडा था.
बीजेपी के फेवरिट हो गये हैं आरसीपी सिंह
ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आरसीपी सिंह बीजेपी को इतना पसंद क्यों आने लगे हैं. नीतीश कुमार बिहार में एनडीए के सर्वमान्य नेता हैं. नीतीश भी किसी जिले में जाते हैं तो उनके स्वागत में शायद ही बीजेपी के लोग पहुंचते हैं. लेकिन आऱसीपी के स्वागत के लिए बीजेपी में आपाधापी क्यों मची. क्यों बीजेपी ने उस कड़वाहट को ताक पर रख दिया जो नीतीश कुमार के लगातार फैसलों से दोनों पार्टियों के बीच आय़ी है.
इसका जवाब तलाशना हो तो आऱसीपी के उन बयानों को देख लीजिये जो पिछले डेढ़-दो महीनों से उन्होंने बीजेपी को लेकर लगातार दिया है. ये वही अवधि है जिसमें नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ लगातार स्टैंड लेते रहे. जातिगत जनगणना पर बीजेपी को घेरने की जुगत में लगे रहे. पेगासस फोन टैपिंग मामले पर नीतीश कुमार ने विपक्षी पार्टियों के सुर में सुर मिलाते हुए जांच की मांग कर दी. लेकिन उसी अवधि में आऱसीपी सिंह लगातार बीजेपी के पक्ष में ऐसे बोलते रहे जैसे वे उसी पार्टी के नेता हों.
पिछले महीने जब आऱसीपी सिंह मंत्री बने तो मीडिया के सामने प्रधानमंत्री का ही गुणगान करते रहे. फर्स्ट बिहार के पास वो वीडियो है जब केंद्र में मंत्री बनने के बाद आऱसीपी सिंह पहली दफे मीडिया से मुखातिब हुए थे. तब उन्होंने औपचारिकता निभाने के लिए भी नीतीश कुमार को धन्यवाद नहीं दिया था. हां, प्रधानमंत्री को बड़प्पन, बड़ा दिल दिखाने के लिए उनका कई दफे आभार जरूर जताया था.
सोमवार को जब वे पटना पहुंचे तो मीडिया ने आरसीपी सिंह से जातिगत जनगणना को लेकर भी सवाल पूछा था. आरसीपी सिंह उस सवाल को ही टाल गये. उन्होंने एक लाइन जरूर कहा कि ये उनकी पार्टी की मांग है, लेकिन अपनी निजी राय नहीं बतायी. बल्कि वे उसी भाषा में बोलते दिखे जो बीजेपी के नेता बोल रहे हैं. जेडीयू-बीजेपी के बीच विवाद के तमाम मसलों पर आरसीपी बीजेपी के साथ खड़े नजर आये. उन्होंने तो ये तक कह दिया कि बीजेपी से गठबंधन कभी टूटेगा ही नहीं. आरसीपी सिंह का ये बयान तब आ रहा है जब उनकी ही पार्टी के कई नेता ये सार्वजनिक तौर पर कह रहे हैं कि बीजेपी ने चुनाव में साजिश कर जेडीयू को हराया. खुद नीतीश कुमार और उनके किचेन कैबिनेट के लोग बीजेपी का नाम लिये बगैर साजिश का जिक्र करते हैं. उनका इशारा बीजेपी की ओर होता है ये सब समझते हैं.
क्या आरसीपी के सहारे नीतीश को जवाब देगी बीजेपी
जानकार बता रहे हैं कि बीजेपी ने विभीषण ढ़ूढ़ लिया है. बीजेपी जानती है कि आरसीपी सिंह वह आदमी हैं जिनके सीने में नीतीश कुमार का हर राज दफन है. लिहाजा नीतीश कुमार चाह कर भी आऱसीपी सिंह से पल्ला नहीं झाड़ सकते. लेकिन नीतीश बीजेपी के खिलाफ जमकर सियासी चाल चल रहे हैं. अब जो नजारा सामने आ रहा है वह ये है कि बीजेपी आऱसीपी सिंह के सहारे नीतीश कुमार को नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रही है. नीतीश औऱ बीजेपी के बीच बात ज्यादा बिगड़ी तो आऱसीपी सिंह का बड़ा उपयोग भी किया जा सकता है. ऐसे में आरसीपी सिंह के महत्व को समझ रही बीजेपी अगर उन्हें खास तवज्जो दे रही है तो इसमें हैरान होने वाली बात नहीं है.