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30-Oct-2019 08:58 AM
RANCHI : झारखंड की रघुवर सरकार भले ही राज्य में चौतरफा विकास करने का दावा कर ले लेकिन स्कूलों में चलने वाली मिड डे मील योजना ने रघुवर राज की हकीकत मिला दी है। झारखंड के सरकारी स्कूलों में जात पात की जकड़न ऐसी है कि 15 फ़ीसदी बच्चे इसके कारण स्कूल में मिड डे मील नहीं खाते।
यह हकीकत राज्य सरकार की तरफ से ही कराए गए सोशल ऑडिट में सामने आई है। झारखंड के 12 सौ से ज्यादा प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में यह सोशल ऑडिट कराया गया था जिसमें चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक 15 फ़ीसदी स्कूली बच्चे मिड डे मील इसलिए नहीं खाते क्योंकि वह अन्य जातियों के बच्चों साथ एक कतार में बैठकर भोजन करने से परहेज करते हैं। हैरत की बात यह है कि जात पात की जकड़न को खत्म करने के लिए झारखंड के शिक्षा विभाग और उसके अधिकारियों ने कोई पहल नहीं की।
सोशल ऑडिट रिपोर्ट से यह बात साबित हो गई है कि जातीय बंधन ने सरकार की इस सबसे बड़ी योजना की झारखंड में हवा निकाल दी है। सरकार की इस रिपोर्ट में स्कूलों के अंदर कई तरह की अन्य खामियों को भी उजागर किया गया है। जाहिर है रघुवर सरकार अपनी ही इस रिपोर्ट को लेकर विधानसभा चुनाव में घिरी हुई नजर आएगी।