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20-Aug-2023 02:07 PM
By First Bihar
SUPAUL: शिक्षा विभाग ने मिड डे मील के चावल वाले बोरा को रेट तय करने के बाद अब स्कूलों में रखे कबड़ा का भी रेट तय कर दिया है। प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान सुपौल के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने इसको लेकर आदेश जारी किया है। जिले के सभी मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के सभी प्रधानाध्यापक और प्रभारी प्रधानाध्यापक को पत्र भेज कर स्कूलों के कबाड़ का निर्धारित रेट की जानकारी दी गई है।
दरअसल, बिहार का शिक्षा विभाग लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक के बाद अब जिलों के शिक्षा पदाधिकारी भी एक्शन में आ गए हैं और उनके स्तर से भी स्कूलों को ऐसे आदेश जारी किए जा रहे हैं जिसको जानकर हर कोई हैरान है। शिक्षा विभाग के बोरा बेचने के आदेश के बाद स्कूलों के कबाड़ को बेचने का आदेश भी जारी किया गया था। केके पाठक के आदेश का हवाला देते हुए बांका के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कबाड़ बेचने को लेकर आदेश जारी किया था।
अब सुपौल के प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने स्कूलों में पड़े कबाड़ का रेट तय करते हुए उसे निर्धारित रेट पर बेचने का आदेश दिया है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि, स्कूलों में पड़े अनुपयोगी सामान, कार्यालय उपस्कर, पुराने कंप्यूटर, फर्नीचर आदि की निलामी के लिए सामग्री की सूची उलपब्ध कराई गई है। प्राप्त सूची के आधार पर निलामी के लिए सामग्रियों का दर कनीय अभियंता एवं अभियंताओं से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर निर्धारित की जाती है।
शिक्षा विभाग के आदेश के मुताबिक, लकड़ी के सामान- 6 रुपया प्रतिकिलो, लोहे एवं चदरा- 20 रुपए प्रतिकिलो, प्लास्टिक सामग्री- 8 रुपए प्रतिकिलो, अनुपयोगी पेपर-कार्टन-बोरा- 7 रुपए प्रतिकिलो, पुराने जेनरेटर- लोहे-चदरे के दर से या वास्तविक स्थानीय बाजार मूल्य जिसपर बिक्री संभव हो।
वहीं इनभर्टर/पुराने कंप्यूटर/ बिजली के अन्य सामान- 40-50 रुपए प्रतिकिलो या स्थानीय बाजार दर, पुराना पंखा- 100 रुप प्रति पीस या स्थानीय बाजार दर, पुरानी बैट्री(150AMP) के ऊपर- दो हजार से तीन हजार रुपए प्रति पीस, पुरानी बैट्री(150AMP) के नीचे- 300-700 रुपए प्रति पीस और मध्याह्न भोजन संबंधी पुराने बर्तन- स्टील 20 रुपए और एल्युमिनियम के बर्तन खरीदे गए दर के 50 फीसदी दर से बेचना होगा। कबाड़ बेचने के बाद प्राप्त पैसों को शिक्षक स्कूल के कोष में जमा कराएंगे और इसकी जानकारी कार्यालय को देंगे।