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पुल गिरने पर नीतीश सरकार ने कर लिया कार्रवाई का दिखावा? इंजीनियर सस्पेंड और ठेकेदार को नोटिस, भ्रष्टाचार के आका पर कार्रवाई कब होगी?

पुल गिरने पर नीतीश सरकार ने कर लिया कार्रवाई का दिखावा? इंजीनियर सस्पेंड और ठेकेदार को नोटिस, भ्रष्टाचार के आका पर कार्रवाई कब होगी?

05-Jun-2023 07:37 PM

By FIRST BIHAR EXCLUSIVE

PATNA: बिहार में गंगा नदी पर बने रहे महासेतु के ध्वस्त होने के बाद सरकार ने कार्रवाई करने की औपचारिकता निभा ली है. सरकार ने एक इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया है और ठेकेदार एसपी सिंगला को नोटिस जारी कर दिया है. इतने बड़े पुल के लिए इंजीनियर को दोषी मान लिया गया है. सवाल ये उठ रहा है कि क्या कार्रवाई का दिखावा कर भ्रष्टाचार की व्हेल मछली को बचा लिया गया है.


बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग ने सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल को बना रही  कंसट्रक्शन कंपनी एसपी सिंगला को नोटिस जारी किया है. ठेकेदार से पूछा गया है कि 15 दिनों में बतायें कि क्यों नहीं आपको काली सूची में डाला जाये. इसके अलावा खगड़िया के कार्यपालक अभियंता को निलंबित कर दिया गया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने पुल की सही से निगरानी नहीं है. वहां नये सहायक अभियंता भेजे गये हैं.


बता दें कि पुल के ध्वस्त होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी. उसके बाद गंगा नदी पर निर्माणाधीन अगुवानी पुल का निर्माण करा रही एजेंसी एसपी सिंगला को पथ निर्माण विभाग ने नोटिस किया है कि क्यों न उन्हें काली सूची में डाला जाये. इसके साथ खगड़िया के कार्यपालक अभियंता को निलंबित करते हुए नये अभियंता की तैनाती की गई है. 


सरकार कह रही है कि अब फैसला लिया गया है कि नये सिरे से इस पुल का निर्माण किया जाएगा.  इसके लिए जल्द ही इसका डीपीआर बनेगा और फिर पुल बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी. सरकार अब बिहार में बन रहे सभी बड़े पुलों का थर्ड पार्टी से जांच करायेगी. इसके लिए विशेषज्ञ एजेंसी को जिम्मेदारी दी जाएगी. 


किसे बचा रही है सरकार

सवाल ये उठ रहा है कि सिर्फ एक इंजीनियर को सस्पेंड कर सरकार किसे बचा रही है. बता दें कि जेडीयू विधायक डॉ.संजीव कुमार ने आज ही बिहार सरकार में पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत पर बेहद गंभीर सवाल उठाये थे. उन्होंने कहा है कि सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल में भ्रष्टाचार के सबूत के साथ वे पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत से पहले ही मिल चुके थे. उन्हें दिखाया था कि कैसे पुल के पायों में दरारें आ गयी हैं. लेकिन प्रत्यय अमृत बात मानने को तैयार नहीं हुए. वे किसी पाये का वीडियो दिखा कर कहने लगे कि जहां गड़बड़ी है वहां तोड़ कर नये सिरे से काम कराया जा रहा है. जेडीयू विधायक संजीव कुमार ने कहा कि उन्होंने प्रत्यय अमृत को पुल के जिस पाये में दरार आने की जानकारी सबूत के साथ दी थी, वही पाया रविवार को सबसे पहले ध्वस्त हुआ और फिर सब कुछ बर्बाद हो गया।


डॉ. संजीव कुमार ने कहा कि ये साफ दिखाता है कि इस मामले में प्रत्यय अमृत खुद शामिल हैं. अब अगर सरकार उन्हें ही जांच का जिम्मा दे रही है तो इससे बडा मजाक क्या हो सकता है. जो खुद मुजरिम है वही जांच करेगा तो रिपोर्ट क्या आयेगी. सरकार इस मामले की जांच हाईकोर्ट के जज से कराये. तभी सच्चाई सामने आ पायेगी. ये पता चल पायेगा कि कौन-कौन इस मामले में संलिप्त है. ये पूरा भ्रष्टाचार का खेल है.


विधायक डॉ संजीव कुमार ने कहा कि सरकार को प्रत्यय अमृत जैसे अधिकारी को तुरंत पद से हटाना चाहिये. वे ऐसे अधिकारी हैं जो स्वास्थ्य विभाग में जाते हैं तो खुद को सबसे बड़ा डॉक्टर समझने लगते हैं. पथ निर्माण विभाग में आते ही खुद को सिविल इंजीनियर घोषित कर देते हैं. अगर उन्हें लॉ डिपार्टमेंट का सचिव बना दिया जाये तो वे खुद को जज समझने लगेंगे. ऐसे अधिकारी के कारण ही सरकार बदनाम हुई है. डॉ संजीव ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने का टाइम मांगा है. मुख्यमंत्री से मिलकर कहेंगे कि प्रत्यय अमृत पर कार्रवाई करें.


नया पुल बनने से भ्रष्टाचार की कहानी खत्म नहीं होगी

डॉ. संजीव कुमार ने कहा कि प्रत्यय अमृत कह रहे हैं कि सरकार वहां नया पुल बनायेगी. इससे पुराने पुल में भ्रष्टाचार का मामला खत्म नहीं हो जायेगा. ये तो वैसी ही बात हुई कि किसी आदमी की हत्या करने के उद्देश्य से गोली मार दी जाये. अगर वह आदमी इलाज के बाद बच जाये तो क्या गोली चलाने वाले का जुर्म खत्म हो जायेगा. डॉ संजीव कुमार ने कहा कि एसपी सिंघला नाम की कंपनी ने पुल बनाने का काम लेते ही पूरे इलाके में नंगा नाच किया. कम से कम 24 लोगों की हत्या की जा चुकी है. लोकल पुलिस को मैनेज कर भ्रष्टाचार से लेकर रंगदारी का खेल खेला जा रहा था. इसकी जानकारी अधिकारी को दी गयी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. पिछले साल 30 अप्रैल को जब पुल का सुपर स्ट्रक्चर ढहा था तब कार्रवाई की गयी होती तो ऐसी नौबत नहीं आती.