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27-Apr-2020 08:54 AM
DELHI : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार कह रहे हैं कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए वे बिहार के बाहर रह रहे प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन में बिहार वापस लेकर नहीं आएंगे। वहीं कोटा में फंसे हजारों बिहारी छात्रों के मसले पर भी नीतीश सरकार ने साफ कह दिया था कि ल़कडाउन में बच्चों को वापस लाना संभव नहीं है। अब नीतीश कुमार की इस कदम पर एक तरह से केन्द्र सरकार की मुहर लगती दिख रही है।
केन्द्र सरकार ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन में घर लौटने की जरूरत नहीं है। वह जहां भी हैं, उनकी और उनके परिवार की जरूरतों का ख्याल रखा जा रहा है। सरकार ने ये जानकारी सुप्रीम कोर्ट में रोज कमाने-खाने वाले प्रवासियों और कम वेतन पाने वालों को राहत देने की मांग से जुड़ी एक याचिका के जवाब में स्थिति रिपोर्ट पेश करते हुए दी है।
केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने हलफनामे में बताया कि संगठित क्षेत्र में कम वेतन पाने वालों की कठनाईयों को दूर करने के लिए पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत नकदी हस्तांतरण किया गया है। इसके अलावा सरकार ने कामगारों को ईपीएफओ से एडवांस निकालने की मंजूरी दी है। जिसके तहत 9 अप्रैल तक 1,49,891 लोगों ने सुविधा का इस्तेमाल किया है।सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये भी जानकारी दी कि देश में राज्यों और केन्द शासित प्रदेशों में 37,978 राहत शिविर चल रहे हैं। इन शिविरों में 14.3 लाख लोग रह रहे हैं। इसके अलावे 26,225 भोजन केन्द्र चल रहे हैं जिनका 1.34 करोड़ लोग लाभ उठा रहे हैं।