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चाहकर भी BJP उम्मीदवार का विरोध नहीं कर पाएंगे नीतीश, मोदी के दांव ने JDU के सामने विकल्प नहीं छोड़ा

चाहकर भी BJP उम्मीदवार का विरोध नहीं कर पाएंगे नीतीश, मोदी के दांव ने JDU के सामने विकल्प नहीं छोड़ा

22-Jun-2022 06:57 AM

PATNA : राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी दलों की तरफ से उम्मीदवारों का नाम तय किया जा चुका है। बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है तो वहीं विपक्षी दलों के गठबंधन ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को मैदान में उतारने का ऐलान किया है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जीत के लिए बीजेपी के पास पर्याप्त नंबर तो नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे कर जो पॉलिटिकल कार्ड खेला है उसमें उनके विरोधी भी फंस सकते हैं। एनडीए में नहीं होने के बावजूद ओडिशा से आने वाली द्रौपदी मुर्मू के नाम का विरोध नवीन पटनायक के किसी कीमत पर नहीं करेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि उड़ीसा से आने वाले वोट एनडीए के पाले में जाएंगे। 


द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने जो दांव खेला है इससे उसके ऐसे सहयोगी भी उलझ गए हैं जो अपने पिछले ट्रैक रिकॉर्ड के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव में गठबंधन से अलग जाकर स्टैंड लेते रहे हैं। बात नीतीश कुमार की हो रही है, नीतीश का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड राष्ट्रपति चुनाव के मामले में बेहद अजीबोगरीब रहा है। नीतीश जिस गठबंधन के साथ रहे हैं उसी गठबंधन के उम्मीदवार को राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन नहीं दिया है। नीतीश कुमार जब एनडीए के साथ हुआ करते थे तब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। यही बात 2017 में भी देखने को मिली, जब महागठबंधन में रहते हुए नीतीश ने बीजेपी उम्मीदवार और बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद का समर्थन किया, जो एनडीए के उम्मीदवार थे। लेकिन इस बार नीतीश चाह कर भी ऐसा नहीं कर पाएंगे। द्रौपदी मुर्मू का विरोध करना या यशवंत सिन्हा का समर्थन करना नीतीश कुमार के लिए आसान नहीं होगा। 


भारतीय जनता पार्टी ने बहुत सोच समझ कर द्रौपदी मुरमू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। उड़ीसा से आने वाली मुर्मू को उम्मीदवार बनाने से एक तरफ जहां वोट का मैनेजमेंट बेहतर हो पाएगा, वहीं महिला और आदिवासी दोनों फैक्टर काम करेंगे। एक महिला और आदिवासी उम्मीदवार का विरोध करना नीतीश कुमार के लिए आसान नहीं होगा। अगर ऐसा होता है तो नीतीश के ऊपर आदिवासी विरोधी होने का ठप्पा लग सकता है और नीतीश ऐसा हरगिज नहीं चाहेंगे। द्रौपदी मुर्मू की छवि भी बेहद साफ-सुथरी रही है। वह झारखंड की पूर्व राज्यपाल भी रही हैं, जहां से अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को नीतीश ने खुद पिछले दिनों राज्यसभा भेजा है। ऐसे में अगर झारखंड कनेक्शन की बात करें तो नीतीश यहां भी द्रौपदी मुर्मू के साथ खड़े रह सकते हैं। हालांकि अधिकारिक तौर पर अब तक नीतीश कुमार की पार्टी में किसी उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया है लेकिन पिछले दिनों राजनाथ सिंह से उनकी जो बातचीत हुई थी उसके बाद ही यह तय हो गया था की राष्ट्रपति चुनाव के दौरान बीजेपी के साथ खड़े रहेंगे।