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                            10-Jan-2020 05:54 PM
PATNA: देश भर में हो रहे अपराध का ब्योरा रखने वाली सरकारी एजेंसी नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दावों की हवा निकाल दी है. नीतीश लगातार ये दावा कर रहे थे कि शराबबंदी के बाद बिहार में अपराध में भारी कमी आयी है. लेकिन हाल ये है कि 2016 में शराबबंदी के बाद हर साल बिहार में मर्डर, रेप और लूट से लेकर दूसरी आपराधिक घटनाओं में बेतहाशा इजाफा हुआ है.
NCRB ने बताया बिहार में लॉ एंड आर्डर की हालत खराब
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने साल 2018 में हुई आपराधिक घटनाओं का ब्योरा जारी किया है. इस रिपोर्ट में 2016 से लेकर 2018 तक आंकडा शामिल है. नीतीश कुमार ने 2016 में ही बिहार में शराबबंदी लागू किया था और तब से सारा सरकारी अमला ये एलान करने में लगा था कि शराब बंद होने से अपराध बंद हो गया है. लेकिन हकीकत कुछ और ही है. 2016 से लेकर अब तक बिहार में आपराधिक घटनाओं में लगातार वृद्धि होती जा रही है. बिहार में साल 2016 में 1 लाख 64 हजार 163 आपराधिक वारदातें हुई थीं. 2017 में ये आंकडा बढ़कर 1 लाख 80 हजार 573 हो गया. 2018 में ये संख्या और बढी. सूबे में अपराध की कुल 1 लाख 96 हजार 911 घटनायें दर्ज की गयी. यानि शराबंबदी के बाद बिहार में हर साल अपराध की घटनायें बढ़ती जा रही है. ये अलग बात है कि नीतीश कुमार शराबबंदी से अपराध में कमी आने के लगातार दावे कर रहे हैं.
बिहार में रेप की घटनाओं में लगातार वृद्धि
 नीतीश कुमार शऱाबबंदी से महिलाओं की सुरक्षा का भी दावा कर रहे हैं. लेकिन आंकड़े उनके दावों को पूरी तरह से गलत बता रहे हैं. NCRB के आंकडों के मुताबिक राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध में ताबड़तोड़ वृद्धि हुई है. 2016 में बिहार में महिलाओं पर अत्याचार के कुल 13 हजार 400 मामले दर्ज किये गये थे. 2017 में इसकी तादाद बढ़कर 14 हजार 711 हो गयी. 2018 में महिलाओं पर अत्याचार के मामले और बढ़ गये. इस साल महिलाओं के उत्पीड़न की 16 हजार 920 घटनायें हुई. 
मर्डर, किडनैपिंग से लेकर दलित अत्याचार की घटनायें बेहताशा बढ़ी
 NCRB की रिपोर्ट नीतीश कुमार के हर दावे की पोल खोल रही है. बिहार में पिछले तीन सालों में मर्डर, किडनैपिंग,बच्चों पर जुल्म से लेकर दलित अत्याचार की घटनायें हर साल बढ़ती जा रही है. शऱाबबंदी का कहीं कोई असर नहीं दिख रहा है. हां, अपराध जरूर बढ़ गये.
NCRB के आंकड़े बताते हैं कि 2016 में शराबबंदी के बाद बिहार में मर्डर की घटनायें लगातार बढ़ रही है. 2016 में बिहार में 2581 लोगों की हत्या हुई थी. 2017 में 2803 लोगों का मर्डर कर दिया गया. 2018 में ये आंकड़ा और बढ गया. अपराधियों ने इस साल 2924 लोगों की हत्या कर दी.
किडनैपिंग की घटनाओं में भी हर साल वृद्धि होती जा रही है. NCRB के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में बिहार में किडनैपिंग यानि अपहरण की 9935 घटनायें हुई. इससे पहले 2017 में 8479 लोगों का अपहरण किया गया था. 2016 में अपहरण के कुल मामलों की संख्या 7324 थी. यानि शराबंबदी के बाद हर साल घटनायें बढ़ती जा रही है.
यही हाल दलित उत्पीड़न और बच्चों पर जुल्म के मामलों का है. 2016 में बिहार में दलित उत्पीड़न के कुल 5701 मामले दर्ज किये गये थे. लेकिन 2018 में दलित उत्पीड़न की घटनाओं की संख्या बढकर 7061 हो गयीं. बेहद चिंताजन बात ये है कि बच्चों पर जुल्म की घटनायें भी बढ़ती जा रही है. 2016 में पुलिस ने बच्चों पर जुल्म के कुल 3932 मामले दर्ज किये थे. 2018 में इसकी तादाद लगभग दोगुनी हो गयी. 2018 में बच्चों पर जुल्म के 7340 मामले दर्ज किये गये.
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने बिहार में सभी किस्म के अपराध में ताबडतोड़ वृद्धि का आंकड़ा जारी किया है. बिहार में देश में सबसे ज्यादा दंगे के मामले हो रहे हैं. लगातार तीन सालों से दंगों के मामलों में बिहार देश में सबसे अव्वल राज्य बन रहा है. इसके बावजूद अगर नीतीश कुमार शऱाबबंदी से लॉ एंड आर्डर सुधरने का दावा कर रहे हैं तो ये आम लोगों के समझ से परे की बात ही है.