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02-Nov-2019 02:05 PM
RANCHI : झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही बीजेपी सत्ता वापसी के लिए अपनी चुनावी रणनीति पर कदम दर कदम आगे बढ़ा रही है। झारखंड में बीजेपी के लिए चुनौती इस लिहाज से भी बड़ी है क्योंकि महाराष्ट्र और हरियाणा में उसे उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। झारखंड के लिए बीजेपी ने मिशन 65 प्लस का टारगेट रखा है लेकिन अब पार्टी थोड़ी कन्फ्यूजन में है।
हरियाणा में जोड़ घटाव कैसा है बीजेपी ने भले ही सरकार बना ली हो लेकिन उसे पता है कि विधानसभा चुनाव के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए अभी भी बीजेपी को नाको चने दबाने पड़ रहे हैं। दरअसल इन दोनों राज्यों में बीजेपी ने स्थानीय मुद्दों से ज्यादा तरजीह राष्ट्रीय एजेंडों को दिया। पार्टी के बड़े से लेकर छोटे नेता तक स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करने की बजाय राष्ट्रीय मुद्दे उठाते रहे, परिणाम सबके सामने है।
महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजों ने बीजेपी को कंफ्यूजन में डाल दिया है। अब पार्टी यह तय नहीं कर पा रही कि वह झारखंड में राष्ट्रीय एजेंडे पर चुनाव लड़े या फिर स्थानीय मुद्दों पर। झारखंड में 5 चरणों के अंदर चुनाव होने हैं। पूरी चुनावी प्रक्रिया तकरीबन महीने भर चलेगी। लंबा चुनावी शेड्यूल भी बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा। बीजेपी अगर स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ने जाती है तो रघुवर सरकार की खामियां उसे झेलनी पड़ेगी, अगर राष्ट्रीय एजेंटों को चुनावी मुद्दा बनाया जाता है तो महीने भर का समय इतना लंबा है कि इसमें बाजी कभी भी इधर से उधर होने का जोखिम है। बीजेपी के नेता इसी कन्फ्यूजन का हल निकालने में लगे हुए हैं।