ब्रेकिंग न्यूज़

मुंगेर में चुनाव से पहले 1.72 किलो चांदी जब्त, फ्लाइंग स्क्वॉड टीम की बड़ी कार्रवाई मोतिहारी में चिकन पार्टी के बहाने युवक की हत्या, नेपाल से दो आरोपी गिरफ्तार मुंगेर में चुनाव से पहले अवैध मिनी गन फैक्ट्री का भंडाफोड़, 15 निर्मित और 8 अर्धनिर्मित पिस्टल के साथ दो गिरफ्तार जमुई में हाई-वोल्टेज ड्रामा: 80 दिन से फरार पति प्रेमिका संग घर लौटा, पहली पत्नी ने थाने में दर्ज करायी शिकायत BIHAR NEWS : रुपए के लेन-देन में महिला के सिर में मारी गोली, शव को सड़क किनारे खेत में फेंका BIHAR NEWS : सुपौल में नदी में नहाते समय किशोरी की दर्दनाक मौत, मातम का माहौल Bihar Assembly Elections : मांझी का सीट हुआ लॉक,फाइनल कर वापस लौट रहे पटना ;जल्द जारी होगा कैंडिडेट का नाम Bihar Politics OTT Series: 'बिहार से हैं क्रोमोसोम में राजनीति हैं ...', जानिए बिहार की पॉलिटिक्स को समझने के लिए क्यों देखना चाहिए यह सीरीज; क्या है खास BIHAR ELECTION : 20 रुपए में एक रसगुल्ला तो पुड़ी-सब्जी के लिए 30 रुपए हुआ तय; चुनाव आयोग ने तय कर रखा है प्रत्याशियों के खर्च की दरें Diwali 2025: दूर कर लें कंफ्यूजन! 20 या 21 अक्टूबर कब है दीपावली? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा का सही समय

लोकसभा चुनाव 2024 : इस बार छोटे दलों का घटा कद, BJP और तेजस्वी को मिला सबसे बड़ा फायदा

लोकसभा चुनाव 2024 : इस बार छोटे दलों का घटा कद, BJP और तेजस्वी को मिला सबसे बड़ा फायदा

31-Mar-2024 10:58 AM

By First Bihar

PATNA : देश के अंदर लोकसभा चुनाव का शोरगुल है।  हर गली, चौक-चौराहे और नुक्कड़ पर लोग चुनाव के ही चर्चा कर करते नजर आ रहा है। ऐसे में एक चर्चा जो सबसे अधिक हो रही है वह है इस बार छोटे दलों की हैसियत और छोटी हो गई जबकि इस बार के  लोकसभा चुनाव में भाजपा और राजद का कद बढ़ा है। इसमें सबसे अधिक फायदा तेजस्वी की पार्टी राजद को हुआ है।


दरअसल, राजनीति में कुछ भी अस्थाई नहीं होता यहां पल-पल परिस्थितियों बदलता है और फिर उसके अनुसार आगे की रणनीति भी तय होती है। ऐसे में बिहार तो शुरू से ही राजनीति परीक्षण की भूमि रही है। लिहाजा यहां गठबंधन टूटते बनते रहते हैं। लेकिन इस बार के चुनावी माहौल है उसके तहत जो बातें निकलकर सामने आई है वह यह है कि  पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार सीटों पर छोटे दलों की हिस्सेदारी 10% तक घटी है।


मालूम हो कि, बिहार में तीन प्रमुख दल राजद, भाजपा, जदयू ने लगभग तीन चौथाई सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, बाकी के सात दलों के हिस्से में महज एक चौथाई सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। मतलब इस बार छोटे दलों को अधगिक महत्व नहीं मिला है। इनलोगों को बस खुश रखने की कोशिश की गई है। 


वहीं, छोटे दल की नुकसान की बात करें तो सबसे अधिक नुकसान उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को हुआ है। इनकी पार्टी पिछली बार पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव मैदान में थी। इस बार उपेंद्र कुशवाहा को मात्र एक सीट मिला है। कुछ ऐसा ही हाल जीतन मांझी का भी है। पिछली बार हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को तीन सीट मिली थी। इस बार इन्हें एक सीट मिला है। 


उधर, इस बार मुकेश सहनी की पार्टी तो पूरे मैदान से ही गायब नजर आ रही है। जबकि पिछली बार इन्हें तीन सीट पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था। मतलब पिछली बार उपेंद्र कुशवाहा,जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी के दलों को मिलाकर 11 सीट मिली थी