ब्रेकिंग न्यूज़

Life Style: गर्मियों में इसके पत्तों का सेवन क्यों है जरूरी? जानिए.. इसके 5 चमत्कारी फायदे Samastipur Snake Catcher: नहीं रहे 'सांपों के मसीहा' जय सहनी, जिनकी जिंदगी बचाने को रहते थे हमेशा तत्पर, उन्हीं में से एक ने ले ली जान Parent-child relation: बच्चों को शर्मिंदा कर देती हैं पैरेंट्स की ये आदतें, जानिए क्यों बच्चे बनाने लगते हैं दूरियां Bihar Assembly Election 2025: जहानाबाद में बिछने लगी बिसात...NDA में किसके खाते में जाएगी सीट ? दर्जन भर हैं दावेदार..किनका टिकट होगा फाइनल,जानें... IPL2025: "हमें विनम्र बने रहने की जरुरत", अंकतालिका में टॉप पर जाने के बाद हार्दिक और सूर्या का बड़ा बयान, फैंस बोले "ये दोनों MI के पिलर हैं" Made in India: डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ वॉर के बाद अमेरिका में 'मेड इन इंडिया' की गूंज! Gold theft jewellery shop: थानेदार बनकर आया, लाखों के गहने ले उड़ा, CCTV फुटेज देख दंग रह गया दुकानदार! Bihar Politics: "नीतीश को साइडलाइन करने की हिम्मत किसी में नहीं": मनोज तिवारी.. चिराग के भविष्य और पवन सिंह के BJP में आने पर भी बोले Road Accident Death : कुछ महीने पहले हुई थी शादी, अब सड़क हादसे में सुप्रीम कोर्ट के वकील की मौत,पत्नी घायल Caste Census: बिहार चुनाव और पहलगाम हमले से है जातीय जनगणना का कनेक्शन? विपक्ष के तीखे सवालों के बाद जनता सोचने पर मजबूर

लोकसभा चुनाव 2024 : इस बार छोटे दलों का घटा कद, BJP और तेजस्वी को मिला सबसे बड़ा फायदा

लोकसभा चुनाव 2024 : इस बार छोटे दलों का घटा कद, BJP और तेजस्वी को मिला सबसे बड़ा फायदा

31-Mar-2024 10:58 AM

By First Bihar

PATNA : देश के अंदर लोकसभा चुनाव का शोरगुल है।  हर गली, चौक-चौराहे और नुक्कड़ पर लोग चुनाव के ही चर्चा कर करते नजर आ रहा है। ऐसे में एक चर्चा जो सबसे अधिक हो रही है वह है इस बार छोटे दलों की हैसियत और छोटी हो गई जबकि इस बार के  लोकसभा चुनाव में भाजपा और राजद का कद बढ़ा है। इसमें सबसे अधिक फायदा तेजस्वी की पार्टी राजद को हुआ है।


दरअसल, राजनीति में कुछ भी अस्थाई नहीं होता यहां पल-पल परिस्थितियों बदलता है और फिर उसके अनुसार आगे की रणनीति भी तय होती है। ऐसे में बिहार तो शुरू से ही राजनीति परीक्षण की भूमि रही है। लिहाजा यहां गठबंधन टूटते बनते रहते हैं। लेकिन इस बार के चुनावी माहौल है उसके तहत जो बातें निकलकर सामने आई है वह यह है कि  पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार सीटों पर छोटे दलों की हिस्सेदारी 10% तक घटी है।


मालूम हो कि, बिहार में तीन प्रमुख दल राजद, भाजपा, जदयू ने लगभग तीन चौथाई सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, बाकी के सात दलों के हिस्से में महज एक चौथाई सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। मतलब इस बार छोटे दलों को अधगिक महत्व नहीं मिला है। इनलोगों को बस खुश रखने की कोशिश की गई है। 


वहीं, छोटे दल की नुकसान की बात करें तो सबसे अधिक नुकसान उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को हुआ है। इनकी पार्टी पिछली बार पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव मैदान में थी। इस बार उपेंद्र कुशवाहा को मात्र एक सीट मिला है। कुछ ऐसा ही हाल जीतन मांझी का भी है। पिछली बार हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को तीन सीट मिली थी। इस बार इन्हें एक सीट मिला है। 


उधर, इस बार मुकेश सहनी की पार्टी तो पूरे मैदान से ही गायब नजर आ रही है। जबकि पिछली बार इन्हें तीन सीट पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था। मतलब पिछली बार उपेंद्र कुशवाहा,जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी के दलों को मिलाकर 11 सीट मिली थी