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16-Dec-2024 11:42 PM
भारत के मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन राजस्थान के बाड़मेर जिले स्थित किराडू मंदिर अपनी आकर्षक वास्तुकला के साथ-साथ एक प्राचीन श्राप की कहानी के कारण भी लोगों के बीच रहस्यमयी और डरावना माना जाता है। यह मंदिर बाड़मेर शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है और इसमें 5 मंदिरों का समूह है।
दक्षिण भारतीय शैली में अनूठी वास्तुकला
किराडू मंदिर की वास्तुकला बेहद अद्भुत और आकर्षक है। यह उत्तर भारत में स्थित होने के बावजूद पूरी तरह से दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित है। इन मंदिरों की शैली को खजुराहो के मंदिरों से तुलना की जाती है। इस मंदिर समूह में पांच मंदिर हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख मंदिर सोमेश्वर मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। हालांकि, समय के साथ इन मंदिरों की कई मूर्तियाँ टूट चुकी हैं और उनके स्वरूप में भी कुछ बदलाव आया है।
श्राप से जुड़ी लोककथाएँ
किराडू मंदिर से जुड़ी एक प्रसिद्ध लोककथा एक महान संत और उनके शिष्य की है। कहा जाता है कि एक समय संत ने अपने शिष्य की देखभाल करने का अनुरोध गांववालों से किया था, लेकिन गांववाले अपनी जिम्मेदारी भूल गए और शिष्य की मृत्यु हो गई। इस घटना से क्रोधित होकर संत ने क्षेत्र को श्राप दिया कि सूर्यास्त के बाद जो भी इस स्थान पर रहेगा, वह पत्थर का बन जाएगा। इसी कारण से आज भी लोग सूर्यास्त के बाद मंदिर परिसर में रुकने से डरते हैं, और पर्यटक और स्थानीय लोग शाम होते ही मंदिर छोड़ देते हैं।
रहस्यमयी और वीरान माहौल
किराडू मंदिर एक सुनसान और वीरान इलाके में स्थित है, जहां आसपास की शांति और अजीब सी ऊर्जा इस स्थान को और भी रहस्यमयी बनाती है। कहा जाता है कि जो भी इन मंदिरों का पुनर्निर्माण करने की कोशिश करता है, उसे किसी न किसी बाधा का सामना करना पड़ता है। कुछ स्थानीय लोग रात के समय यहां अजीब आवाजें सुनने या असामान्य घटनाओं का अनुभव करने का दावा करते हैं, जो इस मंदिर के रहस्यमयी माहौल को और भी बढ़ा देता है।
किराडू मंदिर न केवल अपनी वास्तुकला के कारण बल्कि अपनी रहस्यमयी और डरावनी कथाओं के कारण भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।