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14-Mar-2021 02:26 PM
PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक की पारी खेल चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर से उनके साथ आ गए हैं. जेडीयू में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का विलय हो गया है. उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार की मौजूदगी में जेडीयू दफ्तर के कर्पूरी सभागार में पार्टी के विलय का एलान किया और कहा कि वे एक बार फिर से अपने पुराने मित्र नीतीश कुमार के साथ आ गए हैं.
3 मार्च 2013 को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की नींव रखने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी का विलय जेडीयू में कर दिया है. लगभग 8 साल बाद कुशवाहा की आरएलएसपी का सफर खत्म हो चुका है. क्योंकि कुशवाहा आठ साल बाद फिर जदयू का हिस्सा बन गए हैं. गौरतलब हो कि कुशवाहा ने इसी जेडीयू से अलग होकर रालोसपा का गठन किया था.
रविवार को जेडीयू ऑफिस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को अपनी पार्टी में शामिल कराया. इस दौरान सीएम नीतीश ने उन्हें पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया. नीतीश ने उन्हें जेडीयू का अंगवस्त्र भी पहनाया. इस दौरान जेडीयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह, बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी, बिजेंद्र यादव, विजय चौधरी, जेडीयू सांसद ललन सिंह समेत पार्टी के कई बड़े चेहरे उपस्थित थे.
आपको बता दें कि विलय से पहले उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कोई मज़बूरी का सवाल नहीं है. जनता के हितों के लिए वह नीतीश के साथ जाने का फैसला किया. जिस तरह से विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता ने सीएम नीतीश पर भरोसा जताया, उसी फैसले का सम्मान करते हुए पार्टी ने जेडीयू में जाने का निर्णय लिया.
आपको बता दें कि 8 साल पहले उपेंद्र कुशवाहा ने 2013 में जब जदयू से नाता तोड़कर रालोसपा को खड़ा किया था. तब कुशवाहा राज्यसभा के सदस्य थे. हालांकि उन्होंने नीतीश कुमार पर कई आरोप लगाते हुए पार्टी से अलग होने का फैसला ले लिया और जेडीयू के सामानांतर एक नई पार्टी की नींव रखने का एलान किया. रालोसपा के गठन के कुछ ही दिनों बाद वे एनडीए में शामिल हो गए. इसका फायदा उनकी पार्टी को हुआ. उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई सीटों पर अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाई और खुद केंद्र सरकार में मंत्री भी बने.
कुशवाहा की एक जगह नहीं टिकने की फितरत ने साल 2019 में उन्हें दोबारा सत्ता के सुख से वंचित कर दिया. कुशवाहा 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गए. लेकिन कुशवाहा यहां भी ज्यादा दिनों तक नहीं टिके और उन्होंने साल 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का भी साथ छोड़ दिया.