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03-Oct-2022 05:45 PM
KAIMUR: रविवार को नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले सुधाकर सिंह ने साफ कर दिया कि अब वे खामोश नहीं बैठने वाले हैं. सुधाकर सिंह ने कहा-मैंने किसानों की समस्या उठाया था लेकिन कुछ लोगों को बुरा लग गया. लेकिन मैं खामोश बैठने वाला हीं हूं. मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन किसानों के लिए लड़ाई जारी रहेगी। जरूरत पड़ी तो सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष होगा।
किसान सभा में पहुंचे सुधाकर
सुधाकर सिंह अपने इस्तीफे के अगले दिन यानि सोमवार को कैमूर जिले के अधौरा में किसान सभा में पहुंच गये. सुधाकर सिंह ने एक बार फिर नीतीश सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाया. सुधाकर सिंह ने कहा-वे जो पहले कह रहे थे, उस पर कायम हैं. बिहार सरकार के कृषि विभाग में उपर से नीचे तक भ्रष्टाचार है. किसान परेशान हैं. मैंने किसानों की समस्या को दूर करने की कोशिश की थी।
किसानों को संबोधित करते हुए सुधाकर सिंह ने कहा-जब मैं किसानों की समस्या उठाता हूं और कृषि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का विरोध करता हूं तो कुछ लोगों को बुरा लगता है. सत्ता में बैठे लोगों की बेचैनी बढ़ जाती है. लेकिन हकीकत यही है कि किसान त्रस्त हैं और कर्मचारी-अधिकारी मालिक बन कर बैठे हैं. सुधाकर सिंह ने कहा-अभी मैंने इस्तीफा दिया है. बिहार में सरकार हम लोगों की ही है लेकिन जरूरत पड़ी तो किसानों के लिए सड़क से सदन तक संघर्ष करने को तैयार हूं।
बता दें कि सुधाकर सिंह ने रविवार को नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा भिजवा दिया था. सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा तेजस्वी यादव के पास भिजवाया था. तेजस्वी ने उसे नीतीश कुमार को सौंपा और फिर त्यागपत्र को स्वीकार कर लिया गया. चर्चा यही है कि लालू-तेजस्वी ने सुधाकर सिंह को इस्तीफा देने को कहा था जिसके बाद उन्होंने अपना त्यागपत्र भिजवा दिया था. लालू-तेजस्वी को लग रहा था कि सुधाकर सिंह के बयानों से नीतीश कुमार नाराज हो रहे हैं, लिहाजा उनकी कुर्सी ले ली गयी।
सुधाकर सिंह मंत्री बनने के बाद से ही लगातार सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर थे. उन्होंने बिहार सरकार के कृषि विभाग को चोर और खुद को चोरों का सरदार करार दिया था. सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार की कृषि नीति को भी किसान विरोधी करार दिया था. सुधाकर सिंह बार-बार ये कह रहे थे कि नीतीश कुमार के कृषि रोड मैप से किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ. बिहार के किसान त्राहिमाम कर रहे हैं. नीतीश सरकार ने बिहार में मंडी कानून खत्म करके भी किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है।