Bihar Politics: गिरिराज सिंह का राहुल गांधी पर तीखा हमला, ‘भूराबाल’ पर तेजस्वी यादव को भी दमभर सुनाया Bihar News: रातों-रात एक ही तालाब में लाखों रुपए की मछलियां मरने से मचा हड़कंप, हुआ ₹20 लाख का नुकसान Bihar Vigilance Raid: निगरानी की गिरफ्त में आया बिहार का घूसखोर अमीन, एक लाख रिश्वत लेते रंगेहाथ अरेस्ट Bihar Vigilance Raid: निगरानी की गिरफ्त में आया बिहार का घूसखोर अमीन, एक लाख रिश्वत लेते रंगेहाथ अरेस्ट Bihar News: मतदाता सूची पुनरीक्षण पर इतना बेचैन क्यों हैं RJD, 2003 में राजद शासनकाल में सिर्फ 31 दिनों में हुआ था वोटर लिस्ट रिविजन Bihar Politics: NDA में सीट शेयरिंग पर दिलीप जायसवाल का बड़ा बयान, जानिए.. क्या बोले बिहार बीजेपी अध्यक्ष Bihar Politics: NDA में सीट शेयरिंग पर दिलीप जायसवाल का बड़ा बयान, जानिए.. क्या बोले बिहार बीजेपी अध्यक्ष Raid In Bihar: खगड़िया में DSP के आवास पर रेड, अब तक कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद Life Style: क्या मानसून में झड़ने लगे हैं बाल? अपनाएं ये आसान घरेलू उपाय; मिलेगा हेयर फॉल से राहत Bihar News: बिहार में नाबालिग को शराब मामले में मिली अनोखी सजा, अब एक महीने तक करना होगा यह काम
07-Aug-2022 09:57 AM
DESK : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज यानि 7 अगस्त को अपने पहले छोटे रॉकेट लांच कर दिया. इस रॉकेट का नाम 'स्माल सैटेलाइट लांच व्हीकल' है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड लॉन्चिंग सफलतापूर्वक की गई. यह SSLV एक पृथ्वी अवलोकन सैटेसाइट और छात्रों द्वारा बनाया एक उपग्रह लेकर जाएगा. इसरो ने 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में 500 किलोमीटर तक स्थापित करने का मिशन शुरू किया है. उसका उद्देश्य तेजी से बढ़ते एसएसएलवी बाजार का बड़ा हिस्सा बनना है.
SSLV उपग्रह छह मीटर रिजोल्यूशन वाला एक इन्फ्रारेड कैमरा लेकर जा रहा है, जिसका रेजोल्यूशन 6 मीटर है. यानी ये रात में भी निगरानी कर सकता है. उस पर एक स्पेसकिड्ज इंडिया द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों के 750 छात्रों द्वारा निर्मित आठ किलोग्राम का आजादी सैट सैटेलाइट भी है. SSLV 34 मीटर लंबा है जो PSLV से लगभग 10 मीटर कम है और PSLV के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास दो मीटर है. इस परियोजना का महत्व यह है कि इसे स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत बनाया गया है.
बता दें कि यह देश का पहला स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है. इससे पहले छोटे उपग्रह सुन सिंक्रोनस ऑर्बिट तक के लिए पीएसएलवी पर निर्भर थे तो बड़े मिशन जियो सिंक्रोनस ऑर्बिट के लिए जीएसएलवी और जीएसएलवी मार्क 3 का इस्तेमाल होता था. जहां पीएसएलवी को लॉन्च पैड तक लाने और असेंबल करने में दो से तीन महीनों का वक्त लगता है, वहीं एसएसएलवी महज 24 से 72 घंटों के भीतर असेंबल किया जा सकता है.