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डोमिसाइल नीति पर सरकार की सफाई, बोले मुख्य सचिव..बिहार के अभ्यर्थियों को नहीं होगा किसी प्रकार का नुकसान

डोमिसाइल नीति पर सरकार की सफाई, बोले मुख्य सचिव..बिहार के अभ्यर्थियों को नहीं होगा किसी प्रकार का नुकसान

03-Jul-2023 06:37 PM

By VISHWAJIT ANAND

PATNA: बिहार में 1.70 लाख शिक्षकों की नियुक्ति होनी है।  लेकिन डोमिसाइल खत्म करने को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी काफी आक्रोशित हैं। बीते दिनों पटना के गांधी मैदान में सैकड़ों शिक्षक अभ्यर्थी बैनर-पोस्टर लेकर जमा हो गए थे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। इस दौरान उन पर लाठीचार्ज भी किया गया था। डोमिसाइल को खत्म करने की मांग शिक्षक अभ्यर्थी लगातार कर रहे हैं। इनके हंगामा और प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने डोमिसाइल नीति को लेकर सफाई दी है। 


मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस मौके पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक भी मौजूद रहे। मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि शिक्षकों की बहाली को लेकर सरकार ने संशोधन कर बिहार राज्य के स्थायी निवासी होने की शर्त को हटाया है। अब जन्म और निवास के आधार पर कोई उम्मीदवार अयोग्य नहीं हो सकता है। राज्य के स्थायी निवासी होने की शर्त हटाई गयी है। कानून के लिहाज से सरकार ने यह फैसला लिया है।


मुख्य सचिव ने मीडिया को बताया कि पड़ोसी राज्य यूपी में भी यही नियम लागू है।  संविधान के अनुछेद 16 में इस बात का वर्णन है। मुख्य सचिव ने कहा कि बीपीएससी के माध्यम से अच्छे शिक्षकों का चयन होगा। शिक्षकों की भर्ती के लिए बिहार लोक सेवा आयोग ने पहले 3 बार परीक्षा ली थी। तीनों बार पूरे देश के लोगों को परीक्षा में शामिल होने की सुविधा मिली थी। एक लाख 68 हजार अभ्यर्थियों में मात्र 3 हजार अभ्यर्थी दूसरे प्रदेश के चयनित हुए थे। उसी के आधार पर इस बार भी बीपीएससी परीक्षा ले रही है। इससे बिहार के छात्रों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। बिहार के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ मिलेगा। 


मुख्य सचिव ने बताया कि आर्टिकल 16 यह कहता है कि राज्य के अधीन केवल जाति, लिंग, जन्म स्थान, निवास या किसी के आधार पर तो कोई नागरिक अपात्र नहीं होगा। राज्य से बाहर किसी का जन्म स्थान है तो वे गैर कानूनी और असंविधानिक होगी। पूर्व में वर्ष 1994, 1999 और 2000 में बीपीएससी ने परीक्षा ली थी। इससे पहले भी यही कानून था। 


उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में 1 लाख 68 हजार की नियुक्ति हुई जिसमें 3 हजार से अधिक अभ्यर्थी बिहार के बाहर से आए। अन्य राज्य उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में देश के हर राज्य के निवासी नौकरी करेंगे। स्थानीय राज्य के अलावा दूसरे राज्यों के निवासी भी पात्र है। देश का कोई भी राज्य इसमें शामिल हो रहे हैं। यदि अन्य राज्यों में भी ऐसे नियम बनाने लगे तो बिहारी युवाओं के लिए नुकसानदायी होगा। बिहार राज्य सहित देश के किसी कोने के अभ्यर्थी शामिल हो सकेंगे। बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति होगी। 


मुख्य सचिव ने कहा कि बिहार के हर स्कूल में साइंस की पढ़ाई होती है। मेडिकल, IIT में उच्च रैंक ला रहें हैं, यह धारणा बिलकुल गलत है की बिहार में गणित और साइंस के छात्र नहीं हैं। संशोधन पर कहा की उस वक्त कानूनी वाद्यता नहीं रही होगी। इसके अलावे हाई कोर्ट में एक दर्जन याचिका दायर हो चुके हैं इसलिए सुधार किया गया है। अभ्यर्थियों के आंदोलन पर मुख्य सचिव ने कहा कि हर व्यक्ति को अपना अधिकार है। लेकिन सरकारी सेवक की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चाहे शिक्षक हो या फिर कोई और सेवक। वही केके पाठक ने कहा कि जिन राज्यों ने ऐसे प्रावधान किए वहां लोगहाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन मुकदमे हार गये। झारखंड सरकार भी सुप्रीम कोर्ट से केस हार गई है।