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01-Jul-2024 07:02 AM
By First Bihar
DESK: देश में आज यानी 1 जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू होंगे। आईपीसी की जगह अब भारतीय न्याय संहिता कानून ले लेगा।
दरअसल, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान इन तीनों नए कानूनों को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पारित कराए थे। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये तीनों कानून 1 जुलाई से पूरे देश में लागू हो जाएंगे। कानून की धारा 375 और 376 की जगह अब नए कानून में दुष्कर्म की धारा 63 होगी जबकि गैंगरेप की धारा 70 हो जाएगी।
वहीं हत्या के लिए अब धारा 302 की जगह धारा 101 लागू होगी। भारतीय न्याय संहिता मं 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है, जिसमें मॉब लिंचिंग भी शामिल है। सरकार ने मॉब लिचिंग को लेकर कानून बनाया है। कुल 41 अपराध की सजा को पहले से बढ़ा दिया गया है वहीं 82 अपराधों में जुर्माना की राशि बढ़ाई गई है। नए कानून के अनुसार, आपराधिक मामलों की सुनवाई खत्म होने के बार 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा। पहली सुनवाई के दो महीने के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। राज्यों की सरकार को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करना होगा।
नए कानून के मुताबिक, अब महिला पुलिस दुष्कर्म पीड़ितों का बयान उनके अभिभावकों की मौजूदगी में दर्ज करेगी। सात दिन के भीतर मेडिकल रिपोर्ट पूरी होनी चाहिए। महिला और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर कानून में एक नया अध्याय जोड़ा गया है। इसमे बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध होगा, जिसके लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
नए कानून ते तहत नाबालिक के साथ गैंगरेप के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। लड़कियों या महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके गुमराह करने के मामलों में भी सजा का प्रावधान किया गया है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के अंदर अपने मामलों पर जानकारी हासिल करने का अधिकार होगा। महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में सभी अस्पतालों को मुफ्त इलाज करना जरूरी होगा। आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर FIR, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है।
नए कानून के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से भी घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकेगी, जिससे पीड़ित को पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पीड़ित अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाए किसी भी थाने में दर्ज करा सकेंगे। गंभीर अपराधों के लिए FSL टीम को घटनास्थल पर पहुंचकर साक्ष्य जमा करना अनिवार्य होगा। लिंग की परिभाशा में अब ट्रांस जेंडर भी शामिल होंगे, जो समानता को बढ़ावा देता है।