Bihar weather : बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों तक, बिहार में शीत दिवस की स्थिति कायम रात के अंधेरे में खाली होने लगा राबड़ी आवास, सामान शिफ्ट करने का वीडियो आया सामने अब चिराग की नजर बंगाल और असम पर, विधानसभा चुनाव प्रभारी बने सांसद राजेश वर्मा शिवहर: कपकपाती ठंड में मां ने बेटी को फेंका, पुआल के ढेर पर मिली 2 माह की बच्ची जहानाबाद में शराबबंदी की खुली पोल, नाली सफाई के दौरान सैकड़ों शराब की खाली बोतलें बरामद 9 महीने बाद अपनो से हुई मुलाकात, प्रयागराज से मिली मां और बेटी,परिवार में खुशी का माहौल Makar Sankranti 2026: मकर संक्रांति पर बन रहे दो दुर्लभ संयोग, शुभ मुहूर्त में जरूर करें यह काम Makar Sankranti 2026: मकर संक्रांति पर बन रहे दो दुर्लभ संयोग, शुभ मुहूर्त में जरूर करें यह काम BSF Recruitment: BSF में इतने पदों पर निकली भर्ती, ऐसे करें आवेदन; जानिए.. कब है लास्ट डेट? BSF Recruitment: BSF में इतने पदों पर निकली भर्ती, ऐसे करें आवेदन; जानिए.. कब है लास्ट डेट?
20-Nov-2020 04:56 PM
By AKASH KUMAR
AURNGABAD: देव सूर्यकुंड को श्रद्धालुओं के दवाब के बाद खोलना पड़ा. आस्था को देखते हुए स्थानीय लोगों की पहल पर अधिकारियों पर कुंड का द्वार खोलने के लिए दबाव बनाया गया. लोगों के द्वारा किए गए पहल का असर यह हुआ कि जिला प्रशासन की तरफ से अर्घ्य के लिए कुंड का द्वार खोल दिया गया. जहां श्रद्धालुओं ने जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर अपने अनुष्ठान को सफल बनायाय इस दौरान पुलिसकर्मियों द्वारा जगह जगह पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए श्रद्धालुओं को अर्घ्य दिलाने में मदद की गई.
कोरोना के कारण बंद था
कोरोना को लेकर लेकर चैत्र मास में कुंड का फाटक सरकार के आदेश से बंद हो गया था और छठ में यहां एक भी श्रद्धालु नहीं पहुंच सके. इस बार भी कार्तिक माह में श्रद्धालुओं के लिए कुंड के फाटक कोविड 19 के संक्रमण को देखते हुए बंद कर दिए गए थे. जिसको लेकर स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त था. ऐसी स्थिति में आज संध्या अर्घ्य को लेकर कई श्रद्धालु जिन्हें ने सूर्यकुंड के बंद होने की जानकारी नहीं थी वे अर्घ्य देने को पहुंच गए.
देव का खास महत्व
लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर भगवान भास्कर की नगरी देव स्थित सूर्य कुंड में अर्घ्य देने का खास महत्व है. ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान सूर्य अपने तीनों स्वरूप अस्ताचलगामी, मध्यगामी और उदयाचल स्थिति में यहां विद्यमान रहते हैं. श्रद्धालु भगवान सूर्य के तीनों स्वरूप के दर्शन के लिए देव आकर छठ करते है. अपने जीवन को सफल बनाते है. यही कारण है कि वर्ष में चैत्र और कार्तिक माह में दो बार लाखों श्रद्धालु देश के कोने कोने से आकर देव में छठ व्रत करते हैं.