समाजसेवी अजय सिंह ने मदद के बढ़ाए हाथ, पुलिस और आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को सौंपा जंपिंग गद्दा Success Story: पुलिस ने मांगी रिश्वत तो लड़की ने शुरू कर दी UPSC की तैयारी, पहले IPS बनीं; फिर IAS बनकर पिता का सपना किया साकार JEE Main 2025: जेईई मेन में VVCP के छात्र-छात्राओं ने फिर लहराया परचम, जिले के टॉप थ्री पर कब्जा BIHAR NEWS: बिहार के गरीबों के लिए 2102 करोड़ रू की मंजूरी, जल्द ही खाते में जायेगी राशि, डिप्टी CM ने PM मोदी को कहा 'धन्यवाद' Chanakya Niti: दौलत, औरत और औलाद ...चाणक्य ने इन्हें क्यों बताया अनमोल? नीतीश कुमार को बड़ा झटका, जेडीयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने दिया इस्तीफा Namami Gange Yojana: बिहार के इस जिले को केंद्र सरकार की सौगात, नमामी गंगे और अटल मिशन के तहत मिलेगा साढ़े पांच सौ करोड़ का विकास पैकेज जनेऊ नहीं उतारा तो परीक्षा से किया बाहर, FIR के बाद बढ़ी सियासत Parenting Tips: पढ़ाई के दौरान क्यों आती है बच्चों को नींद? ये काम करें; दूर हो जाएगी परेशानी Bihar politics: बहुमत है, पर नैतिकता नहीं', बीजेपी पर बरसे मनोज झा, वक्फ कानून की वापसी की उठाई मांग!
12-May-2021 10:03 AM
By ALOK KUMAR
BETTIAH : बिहार में कोरोना संक्रमण से स्थिति दिन प्रतिदिन और भयानक होती जा रही है. हर दिन एक के बाद एक दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. इसके अलावा लोगों में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर काफी नाराजगी भी देखने को मिल रही है. इसी कड़ी में बेतिया से एक ऐसा मामला सामने आया जिसे जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मंशा टोला के रहने वाले पेशे से ड्राइवर 55 वर्षीय फखरू जमा की मौत कोरोना संक्रमण से हो गई. मौत के बाद जब अस्पताल में किसी भी कर्मचारी ने शव नहीं छुआ तो बेटी ने खुद अपने पिता का शव पैक किया.
बताया जा रहा है कि मृतक के परिजन काफी समय से शव को कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार सौंपने की मांग कर रहे थे. अस्पताल में फखरू जमा की पत्नी, बेटी रेशमा परवीन और पुत्र मो. शिबू मौजूद थे. लगभग छह घंटे तक इंतजार के बाद भी अस्पताल प्रशासन में कोई सुगबुगाहट नहीं देख रेशमा परवीन खुद जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए कंट्रोल रूम में पहुंचीं. वहां पहुंचकर उन्होंने शिकायत दर्ज करायी तो अस्पताल के कर्मियों ने उन्हें शव पैक करने वाला बैग और पीपीई किट थमा दिया.
रेशमा ने अपने भाई मो. शिबू के सहयोग से पिता के शव को बैग में पैक किया. फिर डेडबॉडी को स्ट्रेचर पर रखकर नीचे ले आयी. उसके बाद दोनों भाई- बहनों ने मिलकर शव को एम्बुलेंस में रखा. रेशमा ने बताया कि वे लोग सुबह पांच बजे से परेशान थे. यहां अस्पताल में कोई सुनने वाला नहीं था. मरीज और उनके परिजनों की परेशानियों से अधिकारियों का कोई लेना-देना नहीं है. अंत में थक कर हमलोगों ने खुद अपने पिता के शव को अस्पताल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए बैग में पैक किया.
अब सरकारी एम्बुलेंस से शव को अपने घर मंशा टोला ले जा रहे हैं. वहां कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार किया जाएगा. इधर, इस बाबत पूछे जाने पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. प्रमोद तिवारी ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी पत्रकारों द्वारा ही मिली है. वे खुद मामले की जांच करेंगे. बता दें कि बेतिया में कोरोना का संक्रमण थम नहीं रहा है. जिले में अब तक लगभग 200 से ज्यादा लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है.