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चुनाव में हार के बाद BJP में घमासान, पूर्व मंत्री और जिलाध्यक्ष आमने-सामने

चुनाव में हार के बाद BJP में घमासान, पूर्व मंत्री और जिलाध्यक्ष आमने-सामने

10-Dec-2020 05:38 PM

MUZAFFARPUR : बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भले ही पहले से बेहतर प्रदर्शन किया हो, बीजेपी की सीटों में भले ही इजाफा हुआ हो, लेकिन मजबूत मानी जाने वाली कई सीटों पर बीजेपी के दिग्गज उम्मीदवारों की हार अब पार्टी में नया घमासान शुरू होने की वजह बन रहा है. मुजफ्फरपुर शहर सीट पर पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा की हार के बाद वहां बीजेपी के अंदर घमासान मच गया है.


अपनी हार के बाद पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता सुरेश शर्मा लगातार संगठन की कार्यशैली के ऊपर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं. सुरेश शर्मा ने कहा है कि संगठन को राज्य और केंद्र स्तर के अलावा उम्मीदवार की तरफ से भी हर तरह का सहयोग मिला लेकिन जिले का संगठन उम्मीदवारों को अपेक्षित सहयोग नहीं दे सका, मुजफ्फरपुर से सीट पर हार के लिए यह एक बड़ी वजह है. सुरेश शर्मा ने ना केवल जिला इकाई पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि यह भी कहा है कि इस तरह की कार्यशैली पहले कांग्रेस में थी और अब धीरे-धीरे बीजेपी के अंदर ऐसा ही वर्क कल्चर देखने को मिल रहा है. सुरेश शर्मा के इस आरोप के बाद जिला अध्यक्ष रंजन कुमार उनके सामने खड़े हो गए हैं.


मुजफ्फरपुर के जिला अध्यक्ष रंजन कुमार ने सुरेश शर्मा के आरोपों को बेबुनियाद बताया है. जिला अध्यक्ष रंजन कुमार ने पलटवार करते हुए कहा है कि पार्टी के किसी भी उम्मीदवार का विरोध करना बीजेपी के कार्यकर्ताओं के संस्कार में नहीं है. भाजपा की यह संस्कृति नहीं रही. विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के हर कार्यकर्ता ने कैंडिडेट को पूरे जी-जान के साथ समर्थन दिया. पार्टी की जीत कैसे सुनिश्चित हो इसके लिए दिन रात काम किया. यह अलग बात है कि हार के बाद अब संगठन और कार्यकर्ताओं के ऊपर ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं. 


जिलाध्यक्ष रंजन कुमार की मानें तो परंपरागत वोटों के बूथ तक नहीं पहुंचने का कारण पार्टी की हार हुई. मुजफ्फरपुर सीट बीजेपी के लिहाज से बेहद मजबूत रही है लेकिन इसके बावजूद अगर पार्टी इस सीट पर हारी है तो निश्चित तौर पर इसके लिए कहीं न कहीं वोटरों की उदासीनता जिम्मेदार है. बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाने वाले सुरेश शर्मा और जिला अध्यक्ष रंजन कुमार की तकरार यह बता रही है कि हार वाली सीटों पर संगठन के अंदर अब घमासान और तेज हो सकता है.