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28-Nov-2023 03:56 PM
By First Bihar
PATNA : बिहार की राजनीति के सबसे बड़े दलित चेहरा और अपनी कुशल राजनीतिक फैसलों के कारण मौसम वैज्ञानिक के नाम से चर्चित रामविलास पासवान ने 28 नवंबर 2000 को जनता दल से अलग होकर आज के दिन लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया था। इसके बाद यह पार्टी काफी तेजी से पनपी और जबतक रामविलास पासवान राजनीति करते रहे तब तक यह पार्टी कभी विपक्ष में नहीं रही।
लेकिन, अब इस पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न दोनों अस्तित्व में नहीं है। हालांकि, लोजपा दो गुटों में बंटी। जसिमें एक गुट केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के साथ और दूसरा गुट चिराग पासवान का है। ऐसे में आए दिन इन दोनों पार्टी में अंदुरनी मनमुटाव भी देखने को मिलता है। इसी कड़ी में अब पशुपति पारस गुट में बड़ी टूट देखने को मिल रही है।
दरअसल, लोजपा के स्थापना दिवस के मौके पर भतीजा ने अपने चाचा को तगड़ा झटका दिया है। पारस गुट की वैशाली सांसद वीणा देवी ने चिराग पासवान का दामन थाम लिया है। वैसे तो लोजपा में बंटवारे के वक्त वीणा देवी ने पशुपति कुमार पारस का साथ दिया। दिल्ली स्थित वीणा देवी का आवास इस पूरे प्रकरण का केंद्र बना था। लोजपा के पांच सांसद पशुपति कुमार पारस के साथ चले गए और चिराग पासवान अकेले बच गए। वीणा देवी की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही। लेकिन, अब यह खुद चिराग के साथ आ गई है।
मालूम हो कि, जमुई के सांसद और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान तथा उनके भाई केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस एक दूसरे से ताकत आजमाइश करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में आज चिराग और उनके समर्थक पटना में स्थापना दिवस मनाया तो दूसरी और चाचा पशुपति कुमार पारस हाजीपुर की धरती पर हुंकार भरी।
आपको बताते चलें कि,वीणा देवी का राजनीतिक सफर मुजफ्फरपुर जिला परिषद अध्यक्ष के रूप में शुरू हुआ। राजद के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह उनके राजनीतिक अभिभावक रहे। बीजेपी की टिकट पर उन्होंने मुजफ्फरपुर की गायघाट विधानसभा क्षेत्र से दो बार जीत दर्ज किया। उसके बाद उन्हें वैशाली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला। लेकिन एनडीए गठबंधन में यह सीट लोजपा के हिस्से में आई। आनन-फानन में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर लोजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली और वैशाली लोकसभा सीट पर जीत दर्ज किया। 2020 के इस लोस चुनाव में रघुवंश प्रसाद सिंह हार गए।