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06-May-2021 01:32 PM
PATNA : बिहार में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण से स्थिति बदतर होते जा रही है. उधर पटना हाईकोर्ट में कोरोना से जुड़े मामलों की रोज सुनवाई हो रही है. इसी कड़ी में गुरूवार को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से डिटेल रिपोर्ट मांगी है. बिहार में कोरोना के कहर से निपटने में सरकारी इंतेजामात की मॉनिटरिंग कर रही जनहित मामलों की सुनवाई करते हुए गुरुवार को पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार के क्राइसिस मैनेजमेंट टीम और उनके कार्यों के वारे में विस्तृत जानकारी दोपहर ढाई बजे तक देने का निर्देश दिया है.
मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खण्डपीठ ने शिवानी कौशिक और अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. हाई कोर्ट ने उक्त रिपोर्ट के साथ राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि राज्य में लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति में पर्याप्त टैंकर काम कर रहे हैं या नहीं. जितने भी टैंकर अभी कार्यरत हैं, उन सब के बारे में विस्तृत रिपोर्ट दोपहर ढाई बजे तक दें.
कोर्ट ने हिदायत दी कि कोरोना की विभीषिका से निपटने में तैनात कोई भी अफ़सर को वीडियो लिंक पर पेश होने की जरूरत नहीं है. सभी अधिकारी काम करते रहे और हाई कोर्ट को अद्यतन और सही आंकड़े पेश करते रहे. चीफ जस्टिस की खण्डपीठ ने राज्य सरकार, नगर निगम सहित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इस बाबत भी ब्यौरा तलब किया है कि इस्तेमाल हुए पीपीई किट को किस प्रकार से डिस्पोज किया जा रहा है. ताकि संक्रमण न फैल सके.
इन सभी बातों की जानकारी दोपहर ढाई बजे तक राज्य सरकार और अन्य पक्षकारों को हाई कोर्ट को पेश करनी है. राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने बहस किया. इन मामलों पर दोपहर ढाई बजे सुनवाई होगी.
आपको बता दें कि बिहार में कोरोना मामले पर सुनवाई करने वाली पटना हाईकोर्ट की खंडपीठ अब बदल गई है. बीते दिन बुधवार को जारी नोटिस में कहा गया है कि इन मामलों की सुनवाई अब मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस. कुमार की खंडपीठ करेगी. गौरतलब हो कि हाईकोर्ट लगातार राज्य में कोरोना के इलाज से जुड़ी संपूर्ण व्यवस्था, ऑक्सीजन और दवाओं की सप्लाई की भी मॉनिटरिंग कर रही है. आपको बता दें कि सरकारी इंतजाम की मॉनिटरिंग 15 अप्रैल से 4 मई तक न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह और न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की खंडपीठ कर रही थी. यह सुनवाई शिवानी कौशिक और अन्य की दायर लोकहित याचिकाओं पर की जा रही थी.