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29-Nov-2022 05:15 PM
PATNA : साढ़े तीन महीने पहले जब बिहार में नयी सरकार बनी थी तभी से ही बड़े पैमाने पर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले की चर्चा हो रही है. लेकिन इक्का-दुक्का जरूरी तबादलों को छोड़ कर सरकार ने कोई फेरबदल नहीं किया है. सरकार अधिकारियों के उसी तंत्र के सहारे चल रही है जो बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के समय बना था. अब इसके पीछे की कहानी सामने आने लगी है. मामला सत्ता में साझीदार दलों के बीच आपसी खींचतान का है. नीतीश कुमार लगभग ये साफ कर चुके हैं कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग में गठबंधन के सबसे बड़े दल राजद और उसके नेता तेजस्वी यादव की नहीं चलेगी. जानिये क्या है अंदर की कहानी.
नीतीश ने रोकी फाइल
दरअसल बिहार में आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का जिम्मा सामान्य प्रशासन विभाग को है तो आईपीएस अधिकारियों की तैनाती का काम गृह विभाग देखता है. ये दोनों विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जिम्मे है. एक आलाधिकारी ने फर्स्ट बिहार को बताया कि पिछले सितंबर महीने में ही बडे पैमाने पर डीएम और विभागीय सचिव-प्रधान सचिव के तबादले की फाइल तैयार हुई थी. ये फाइल नीचे से तैयार होकर उपर यानि सीएम कार्यालय तक गयी थी. लेकिन वहां फाइल रूकी तो फिर बाहर नहीं आयी.
एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक उस फाइल में कई ऐसे अधिकारियों की पोस्टिंग की जा रही थी जिनकी सिफारिश 10, सर्कुलर रोड से हुई थी. यानि लालू-तेजस्वी आवास से भी लिस्ट आयी थी. जब फाइल बड़े साहब के पास पहुंची तो अधिकारियों के नाम को लेकर पूछताछ हुई. बड़े साहब को बताया गया कि कहां से सिफारिश आयी है. उसके बाद फाइल पर बड़े साहब का सिग्नेचर ही नहीं हुआ.
दो बार गुम हो गयी सूची
फर्स्ट बिहार ने कई अधिकारियों से ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर बात की. बिहार सरकार के एक औऱ अधिकारी ने चौंकाने वाली बात बतायी. उनकी मानें तो तेजस्वी यादव ने अपने मनपसंद अधिकारियों की पोस्टिंग के लिए दो दफे लिस्ट भिजवायी है. सीएम कार्यालय के एक खास अधिकारी को वो लिस्ट सौंपी गयी थी. लेकिन दोनों दफे तेजस्वी यादव की सूची गुम हो गयी. तेजस्वी की उस सूची में एक दर्जन डीएम के साथ कुछ विभागों के सचिव का भी नाम था.
अपने विभाग के सचिव को भी नहीं बदल पा रहे डिप्टी सीएम
ये पहली दफे नहीं है जब नीतीश कुमार ने राजद के साथ मिलकर सरकार बनायी है. 2015 में भी तेजस्वी यादव नीतीश कुमार की सरकार में डिप्टी सीएम थे. सरकार बनने के तुरंत बाद तेजस्वी ही नहीं बल्कि तेजप्रताप यादव और राजद कोटे के कई और मंत्रियों के विभागों के सचिव या प्रधान सचिव बदल दिये गये थे. लालू-राबडी परिवार के करीबी माने जाने वाले दो अधिकारियों को खास तौर पर तेजस्वी और तेजप्रताप यादव के विभाग में बिठाया गया था.
लेकिन इस बार बनी सरकार की कहानी अलग है. तेजस्वी यादव एक साथ कई विभागों का जिम्मा खुद संभाल रहे हैं. उनके पास स्वास्थ्य, नगर विकास, पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य विभाग से लेकर पर्यटन विभाग का जिम्मा है. उनके करीबी सूत्रों की मानें तो इन विभागों में बैठे दो प्रधान सचिवों के काम से तेजस्वी पूरी तरह असंतुष्ट हैं. वे बड़े दरबार में भी एक दो दफे अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. लेकिन उसके बावजूद वे अपने विभागों में मनचाहे अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं करा पा रहे हैं.
ब्यूरोक्रेसी में तेजस्वी का रौब खत्म
राजद के एक नेता ने बताया कि ऐसा पहली दफे हो रहा है कि लालू परिवार सत्ता में है और अधिकारियों का बडा वर्ग उनसे दूरी बना कर चल रहा है. 2015 से 2017 के दौरान भी जब नीतीश ही बिहार के सीएम थे तब भी लालू आवास पर दरबार लगाने वाले अधिकारियों का तांता लगा रहता था. अब का हाल ये है कि डिप्टी सीएम के प्रभार वाले विभागों के एक-दो प्रधान सचिव कभी कभी 10 सर्कुलर रोड में दिख जाते हैं. जिलों के डीएम औऱ एसपी भी तेजस्वी के आवास 10 सर्कुलर रोड का रूख करने से परहेज कर रहे हैं. वैसे अगस्त में जब नयी सरकार बनी थी तो कुछ दिनों के लिए अधिकारियों का तांता उमड़ा था. लेकिन उसके बाद लगभग सारे अधिकारियों को वस्तुस्थिति का अंदाजा हो गया है.