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09-Apr-2022 08:24 AM
BEGUSARAI : बिहार में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं. पर हालत ये है सरकारी अस्पतालों में शव को ढोने के लिए एम्बुलेंस नही मिलने पर कंधे पर शव ढोने की नौबत है। कुछ ऐसा ही हाल शुक्रवार को सूबे के नंबर वन अस्पताल बेगूसराय में देखने को मिला जब एक पिता को अपनी बच्ची के शव को ढोने के लिए न सिर्फ अपने कंधे का इस्तेमाल करना पड़ा बल्कि एंबुलेंस के अभाव में बच्ची के शव को मोटरसाइकिल से घर ले जाया गया।
बताते चलें कि बेगूसराय में तेज बुखार से एक स्कूली छात्रा की मौत का सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया है. घटना बेगूसराय जिला के मस्ती फतेहपुर गांव की बताई जा रही है. लड़कीं की पहचान मस्ती फतेहपुर गांव निवासी कैलाश भगत की 8 वर्षीय पुत्री पूजा कुमारी के रूप में हुई है. मृतिका के परिजनों ने बताया कि आज बच्ची स्कूल में तेज बुखार की शिकार हो गई. घर आते आते उसकी हालत बेहद नाजुक हो गई.
गांव में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने के कारण बच्ची को गंभीर हालत में गांव के ही एक झोलाछाप डॉक्टर का सहारा लेना पड़ा. ग्रामीण चिकित्सक के द्वारा तेज बुखार को देखते हुए तत्काल ही एक इंजेक्शन बच्ची को दिया गया लेकिन वह इंजेक्शन फायदे की जगह बच्चे के मौत का कारण बन गया और इंजेक्शन लगते ही बच्ची की तबीयत बेहद ही खराब हो गई. जिसके बाद आनन फानन में बच्ची को इलाज के लिए शहर के कई चिकित्सकों को पास ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया.
बच्चे की मौत से रोते बिलखते पिता को तब और फजीहत का सामना करना पड़ा जब एंबुलेंस के अभाव में अपने बच्चे के शव को ना सिर्फ कंधे से ढ़ोना पड़ा बल्कि मोटरसाइकिल पर बैठाकर घर लाना पड़ा. इस पूरे मामले में लाचार पिता के द्वारा झोलाछाप डॉक्टर द्वारा गलत इंजेक्शन दिए जाने के अलावा और उसे किसी से कोई शिकायत नही है. बिहार में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था कोई बड़ी बात नहीं है. पर अगर बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था में किसी पिता को अपनी बच्ची का शव कांधे पर ढ़ोना पड़े तो यह बड़े ही शर्म की बात है.