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13-Jun-2023 04:51 PM
By First Bihar
PATNA: बिहार की राजनीतिक गलियारों से इस वक्त की बड़ी खबर पटना से आ रही है। बिहार में जल्द कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता दल यूनाईटेड के सोनवर्षा विधायक रत्नेश सदा को पटना बुलाया है। ऐसी चर्चा है कि रत्नेश सदा को मंत्री बनाया जा सकता है।
जदयू कोटे से एससी एसटी विभाग का प्रभार उन्हें दिया जा सकता है। जदयू विधायक रत्नेश सदा को मुख्यमंत्री आवास से बुलावा आया है। बिहार के सोनबर्षा विधानसभा क्षेत्र से रत्नेश सदा जेडीयू के विधायक है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की आज बैठक ललन सिंह के साथ हुई थी। जिसमें यह फैसला लिया गया है। उन्हें एक अणे मार्ग स्थित सीएम आवास पर बुलाया गया है। ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है कि मंगलवार की शाम करीब 5 बजे वे मुख्यमंत्री आवास पहुंचेंगे। जिसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
बता दें कि 2020 में सोनवर्षा विधानसभा सुरक्षित सीट के जेडीयू प्रत्याशी के तौर पर रत्नेश सदा ने चुनाव लड़ा था और कांग्रेस प्रत्याशी तरनी ऋषिदेव को 13 हजार 466 वोट से हराकर विधायक बने थे। रत्नेश सदा अभी जेडीयू क सचेतक है। जेडीयू कोटे से अभी नीतीश मंत्रिमंडल में दो दलित मंत्री हैं। जिनमें एक नीतीश के करीबी अशोक चौधरी है जबकि दूसरे सुनील कुमार हैं। जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद अब सोनवर्षा विधायक रत्नेश सदा को मंत्री बनाया जा सकता है। उन्हें संतोष सुमने के विभाग को दिया जा सकता है। ऐसा कर नीतीश कुमार दलितों के बीच अपनी जगह बनाना चाहते है।
जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद सियासत तेज हो गई है। संतोष सुमन के इस्तीफे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंजूर कर लिया है। इस्तीफे के बाद संतोष मांझी ने कहा था कि नीतीश कुमार हम का जेडीयू में विलय करने का दबाव बना रहे थे। जबकि जेडीयू का कहना है कि मांझी जैसे लोग आते-जाते रहते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। संतोष सुमन के इस्तीफा पर बीजेपी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने अहंकार में किसी का सम्मान नहीं करते हैं।
नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देने का बाद जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने बड़ा खुलासा किया है। संतोष सुमन ने कहा है कि नीतीश कुमार हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा का विलय जेडीयू में कराना चाह रहे थे। जेडीयू की तरफ से लगातार इसके लिए दबाव बनाया जा रहा था। बार-बार कहा जा रहा था कि अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में कल लीजिए। पार्टी काे अस्तित्व को बचाने के लिए हमने फैसला लिया और मंत्री पद से इस्तीफा दिया।
हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन कहा कि मैने रिजाइन कर दिया है। मुख्यमंत्री से अपील की है की वे मेरे इस्तीफे को मंजूर कर लें। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी को मर्ज करने की बात कही गई थी, जिसे हमलोग ने स्वीकार नहीं किया। हम महागठबंधन से अलग नहीं हुए हैं, जब तक नीतीश जी रखेंगे तब तक रहेंगे। हमारे पास जो प्रस्ताव आया उसे हमने मंजूर नहीं किया। जेडीयू की तरफ से विलय करने के लिए दवाब था हमारे ऊपर लेकिन हम पार्टी का अस्तित्व खत्म नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का अस्तित्व खत्म करने की बात हो रही थी लेकिन हमलोग इतने दिनो से बस रहे थे। 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में भी हमारी पार्टी को किसी ने नहीं बुलाया। इस्तीफा देने से पहले नीतीश कुमार से भी बात हुई थी। हम अलग होकर भी महागठबंधन में रहना चाहते है लेकिन ये उनके ऊपर है कि वो हमे रखना चाहते हैं या नहीं। अब संघर्ष के रास्ते पर जनता के बीच जाएंगे।
संतोष सुमन ने कहा कि पार्टी के कोर वर्कर, विधायकों से बात करके हमने ये फैसला लिया है। शेर का नाम नहीं लेंगे लेकिन हमारी छोटी पार्टी शेर के जबड़े में जाने से बच गई। हमारी पार्टी 5 सीटों के लिए बिल्कुल तैयार है, अगर 1- 2 सीट कम भी होता तो हम विचार कर सकते थे लेकिन अब सुलह की कोई बात नहीं होनी है। जनहित के मुद्दों के लिए राज्यपाल और गृह मंत्री से मिलना कोई गुनाह नहीं है।