Bihar jail reform : बिहार के कैदियों का बनेगा ई-श्रम कार्ड, कारा सुधार समिति ने किया कई बदलावों का ऐलान Kharmas 2025: शुभ-मांगलिक कार्यों पर लगी रोक, आज से शुरू हुआ खरमास; जानें इस मास में किए जा सकते हैं कौन-से कार्य? Bihar News: बिहार के इन शहरों में हाइजेनिक मीट विक्रय केंद्र खोलने की तैयारी, सरकार देगी इतने ₹लाख की मदद madhepura news : युवक की बेरहमी से हत्या, परिवार में मातम का माहौल; पुलिस जांच में जुटी Bihar News: ढोंगी बाबा ने वास्तुदोष का झांसा देकर चुराया लाखों का सोना, जांच में जुटी पुलिस Madhepura crime news : पुलिस आईडी और वर्दी पहन वाहन चालकों से पैसे वसूलने वाला फर्जी पुलिसकर्मी गिरफ्तार; इस तरह सच आया सामने Bihar News: बिहार में अवैध बालू खनन पर सख्त कार्रवाई, मद्य निषेध विभाग की मदद से होगी निगरानी Bihar Medical College : बिहार के सभी 38 जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने का ऐलान, सम्राट चौधरी ने 3 साल में पूरा करने की समय सीमा बताई Bihar News: दीघा-एम्स एलिवेटेड रोड से बेली रोड कनेक्शन, नए वैकल्पिक मार्ग से ट्रैफिक घटेगा दबाव Bihar Cabinet Meeting : बिहार कैबिनेट बैठक आज, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में नौकरी, रोजगार और कौशल विकास पर बड़े फैसले होने की संभावना
05-Nov-2024 11:20 AM
By First Bihar
PATNA : नहाय-खाय के साथ आज से चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो गया। कल बुधवार को लोहंडा है। गुरुवार को अस्ताचलगामी तो शुक्रवार को उगते भगवान भास्कर को अर्घ्य देने घाटों पर श्रद्धा सैलाब उमड़ेगा। भगवान सूर्य व छठी मइया की उपासना को समर्पित पवित्र पर्व छठ का नालंदा से गहरा संबंध रहा है।
दरअसल, द्वापरकालीन ऐतिहासिक बड़गांव का सूर्य मंदिर और छठ घाट तालाब कि मान्यता है कि भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की परंपरा इसी बड़गांव से शुरू हुई। धीरे-धीरे यह परंपरा अब पूरे देश में आस्था का लोकमहापर्व के रूप में मनाया जाता है। इतना ही नहीं देश के 12 अर्कों (प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों) में एक बड़गांव धाम है मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र राजा साम्ब को बड़गांव में ही सूर्य की उपासना करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी।
बड़गांव सूर्यमंदिर के पुजारी अरुण कुमार पाण्डेय बताते हैं कि बड़गांव का पुराना नाम बर्राक था। श्रीकृष्ण ने पौत्र राजा साम्ब को कुष्ठ रोग से निवारण के लिए सूर्य की उपासना के साथ सूर्यराशि की खोज करने की सलाह दी। राजा साम्ब सूर्य राशि की खोज में निकले तो रास्ते में उन्हें प्यास लगी। साथ में चल रहे सेवक को पानी लाने का आदेश दिया। घने जंगल होने के कारण पानी दूर-दूर तक नहीं मिला। एक जगह गड्ढे में पानी तो था। लेकिन, वह काफी गंदा था। सेवक ने उसी गड्ढे का पानी लाकर राजा को दिया। राजा ने पहले उस पानी से हाथ-पैर धोया, उसके बाद पानी को पीया। पानी के पीते ही उनके कुष्ठ रोग दूर हो गए ।
ऐसी कहावत है कि कहा जाता है कि राजा साम्ब ने 49 दिनों तक बड़गांव में रहकर सूर्य की उपासना और अर्घ्यदान किया था। जिस जगह का पानी से वे ठीक हो गए थे राजा ने उस स्थान की खुदाई कराकर तालाब का निर्माण कराया। आज भी तालाब में स्नान करने कुष्ठ जैसे असाध्य रोग से मुक्ति मिलती है। तालाब की खुदाई के दौरान उससे भगवान सूर्य, कल्प, आदित्य, विष्णु, सरस्वती, लक्ष्मी, आदित्य माता सहित नवग्रह देवता की प्रतिमा निकलीं। जिसे, उन्होंने श्रीकृष्ण की सलाह पर तालाब के पास मंदिर बनवाकर स्थापित किया था। आज भी देश के विभिन्न क्षेत्रों से लोग यहां चार दिनों तक प्रवास कर भगवान भास्कर की उपासना करते हैं। जिला प्रशासन द्वारा सभी तरह की व्यवस्था की गई है।