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04-Jun-2020 11:36 AM
By tahsin
PURNIA: फर्स्ट बिहार की खबर का असर हुआ है. तेजस्वी यादव ने बिहार के पूर्व सीएम भोला पासवान के परिजनों से बात की. तेजस्वी के पहल पर आरजेडी के कई नेता उनके घर पहुंचे हुए हैं. इन नेताओं ने एक लाख रुपए दिए है. इसके अलावे तेजस्वी ने राशन का सामान भी भेजवाया है. तेजस्वी ने खुद परिजनों से कर हाल जाना है और आगे भी मदद करने का भरोसा दिया है.
फर्स्ट बिहार ने पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार वालों की बेबसी पर रिपोर्ट दिखाई थी. लॉकडाउन और कोरोना महामारी के बीच भूखमरी के शिकार पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार वालों की खबर दिखाए जाने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों हरकत में आए हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने फर्स्ट बिहार की खबर का संज्ञान लेते हुए आज पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार वालों के पास राहत भिजवाने का फैसला किया. पूर्णिया में आरजेडी के स्थानीय नेता तेजस्वी यादव के निर्देश पर राहत लेकर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री के पैतृक गांव पहुंचे.
दाने-दाने को परिवार मोहताज
फर्स्ट बिहार ने आपको कल ही बताया था कि लॉकडाउन के दौरान बिहार के एक पूर्व सीएम का परिवार दाने-दाने को मोहताज है. परिवार के सामने भूखमरी की स्थिती उत्पन्न हो गई है. बच्चे भूख से बिलख रहे हैं. यह स्थिति 60 के दशक में बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री के परिवार की है. तीन बार बिहार के सीएम रहे भोला पासवान के परिवार की जिंदगी बेबसी में कट रही है. पूर्णिया के बैरगाछी में रह रहे भोला पासवान के परिवार की माली हालत इतनी बुरी है कि उनके परिवार को दो वक्त का भोजन भी नहीं मिल पा रहा है. परिवार के सामने भूखमरी की नौबत आ गई है. भोला पासवान शास्त्री का निधन 3 दशक पहले हो गया था . दरअसल उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी. भतीजे विरंची पासवान को वे अपना बेटा मानते थे. भोला पासवान शास्त्री बिहार के पहले दलित मुख्यमंत्री थे. 1968 में वे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद दोबारा 1969 में और तीसरी बार 1971 में फिर से सीएम बने थे. भोला पासवान शास्त्री केंद्रीय मंत्री ,राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष और 4 बार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुने गए. इनकी पहचान सादगी, कर्मठता और ईमानदारी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब इनकी मृत्यु हुई तो परिवार को श्राद्धकर्म के लिए भी चंदा करना पड़ा था. वक्त गुजरते गए पर इनके परिवार की स्थिती यही रही. सरकारी मदद की टकटकी लगाए उनके परिजनों के चेहरे पर झुर्रियां आ गईं, लेकिन मदद नहीं मिली. जिंदगी अभी भी वैसे ही कट रही है. दिहाड़ी करके कमाने खाने वाले 25 सदस्यों के इस परिवार के सिर्फ एक लोग के पास राशन कार्ड है. जिसका असर ये है कि विरंची के तीन बेटे समेत परिवार की बहू और बच्चों के सामने भुखमरी की नौबत है. हालत इतनी खराब है कि बच्चों को दूध तो छोड़िए चावल के माड़ तक की किल्लत आन पड़ी है.