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भागलपुर में लोगों ने यमराज को लिखी चिट्ठी: श्मशान में शव जलाने का खर्च नहीं उठा पायेंगे, इसलिए अभी मत आइयेगा

भागलपुर में लोगों ने यमराज को लिखी चिट्ठी: श्मशान में शव जलाने का खर्च नहीं उठा पायेंगे, इसलिए अभी मत आइयेगा

04-Apr-2021 08:47 PM

BHAGALPUR : भागलपुर के लोगों ने यमराज को चिट्ठी लिखी है. लिखा है-हे प्रभु हम मरने के बाद भी अपने परिवार को कष्ट नहीं देना चाहते इसलिए मत आइयेगा. हमारे मरने के बाद शव को जलाने का जो खर्च होगा, उसे उठा पाना हमारे परिवार वालों के लिए बेहद मुश्किल होगा. उपर से श्मशान घाट इतना बदहाल है कि वहां लोगों का एक मिनट रूक पाना काफी कष्टदायक है. सो अभी मत आइयेगा. लोगों ने इस पत्र की कॉपी भागलपुर के डीएम, एसपी, नगर आयुक्त से लेकर एसडीओ को भी भेजी है.


पत्र का मजमून
यमराज को लिखा लोगों का पत्र कुछ इस तरह शुरू होता है “हे प्रभु! हमलोग मरने के बाद अपने परिवार को कष्ट नहीं देना चाहते, इसलिए अभी हमारे बीच मौत का वारंट लेकर मत आइएगा. भागलपुर में दाह संस्कार के नाम पर लूट मची है. एक लाश के अंतिम संस्कार में 30,920 रुपए का खर्च आता है. ऊपर से डोम राजा की मनमानी अलग. श्मशान घाट पर पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं, ऐसे में अगर मर गए तो परिवार के लोग परेशान ही होंगे, इसलिए हमारी विनती स्वीकार करें, फिलहाल मौत के वारंट को टाल दें.'


श्मशान घाट की बदहाली से त्रस्त हुए लोग
दरअसल भागलपुर में श्मशान घाट की बदहाली औऱ वहां मची लूट खसोट से त्रस्त लोगों को जब कोई उपाय नहीं सूझा तो यमराज को ही पत्र लिख दिया. लोगों के मुताबिक श्मशान घाट पर आला दर्जे की अंधेरगर्दी मची है. प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं कर रखी है. शव का दाह संस्कार कराने वाले मनमाना पैसा मांगते हैं. जिसने पैसे देने से मना किया उसके साथ जमकर बदसलूकी की जाती है.


मुखाग्नि देने के लिए मनमाना पैसे की वसूली
लोगों का कहना है कि सबसे ज्यादा कष्टप्रद स्थिति तब होती है जब श्मशान घाट पर डोमराजा को मुखाग्नि देने के लिए कहा जाता है. मुखाग्नि देने के लिए मनमाने पैसे की मांग की जाती है. लोग गम में डूबे होते हैं लेकिन डोमराजा की डिमांड कम से कम 51 हजार रूपये से शुरू होती है. गम से जूझ रहे लोगों को डोम राजा की डिमांड पूरी करनी ही होती है.


लोगों ने दिया खर्च का पूरा हिसाब - 
यमराज को पत्र लिखने वाले लोगों ने श्मशान घाट पर होने वाले खर्च का पूरा ब्योरा दिया है. उन्होंने कुछ इस तरह खर्च गिनाया है. 

लकड़ी-3000 रूपये

झौवा-200 रूपये

घी-1000 रूपये

चंदन की लकड़ी, धुमना, फूल, कपूर, बांस-7000 रूपये

मुखाग्नि औऱ पंचकाठी-3000 रूपये

घाट पर 50 लोगों का भोजन-10000 रूपये

घाट पर पानी, चाय-2000 रूपये

टायर-20 रूपये

कुल-30,920 रूपये


गरीबों को सरकार सिर्फ 3 हजार रूपये देती है
वैसे राज्य सरकार ने गरीबों के दाह संस्कार के लिए कबीर अंत्येष्टि योजना चालू कर रखी है. इसके तहत 3 हजार रूपये दिये जाते हैं. लेकिन हकीकतन इससे दस गुणा ज्यादा खर्च हो जाता है. गरीब परिवार को दाह संस्कार भी कर्ज लेकर करना होता है.


सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं किया
लोगों के मुताबिक श्मशान घाट पर सरकार की ओर से भी कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. शवदाह गृह में बेलचा, बाल्टी औऱ चदरे की सीट तक नहीं है. घाट पर लगा हाईमास्ट लाइट लंबे अर्से से खराब प़ड़ा है. श्मशान घाट पर पीने की पानी तक की कोई व्यवस्थी नहीं है. जलमीनार एक साल से खराब है. शवदाह गृह के पास एक चापाकल लगा है लेकिन वह भी जर्जर है.


स्थानीय लोगों ने बताया कि सरकार ने विद्युत शवदाह गृह बनाया है. लेकिन उसे यमराज के भरोसे ही छोड़ दिया है. करोड़ो रूपये खर्च कर बनाये गये विद्युत शवदाह गृह के संचालन के लिए कोई टेकनीशियन नहीं है. चार अप्रशिक्षित लड़कों को इसका जिम्मा दिया गया है जिन्हें कोई तकनीकी ज्ञान नहीं है. स्वीपर के तौर पर भी 4 लड़कों को रखा गया है लेकिन उन्हें कोई कागजात नहीं दिया गया है. इन 8 कर्मचारियों को अगस्त 2020 से रखा गया है लेकिन उन्हें एक पैसा वेतन नहीं दिया गया है. उनकी हाजिरी की कोई व्यवस्था नहीं है लिहाजा वे कब आयेंगे औऱ कब नहीं ये उनकी मर्जी पर निर्भर करता है.