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05-Feb-2022 07:56 AM
PATNA : जनहित याचिका में राज्य के कैबिनेट मंत्री को भी प्रतिवादी बनाने पर पटना हाई कोर्ट ने हैरानी जताते हुए टिप्पणी किया है कि याचिका को बिना सोचे समझे आखिर ऐसे मामलें क्यों दायर किया जाता है ? मामला बिहार राज्य खाद्य निगम के वित्तीय लेखा जोखा के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट को नियुक्त करने हेतु जारी किए गए टेंडर नोटिस को रद्द करने से जुड़ा हुआ है।
इस नोटिस के विरुद्ध सीए संजय कुमार झा ने एक जनहित याचिका दायर किया था, जिसमें पहला प्रतिवादी खाद्य उपभोक्ता मंत्री लेशी सिंह को बनाया गया था। सुनवाई के दौरान राज्य खाद्य निगम के वरीय अधिवक्ता अंजनी कुमार ने प्रारंभिक आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि इस याचिका में सरकार के कैबिनेट मंत्री को प्रतिवादी बनाना गलत और अनुचित है। इसलिए उन्होंने याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट से याचिकाकर्ता पर अर्थदंड लगाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि मंत्री की कार्यवाही कोई व्यक्तिगत नहीं है और न ही कोई दुर्भावना का आरोप लगाया गया है।
फिर रिट याचिकाओं में मंत्री को प्रतिवादी बनाना न ही सिर्फ अनुचित है, बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग भी है। चूंकि याचिकाकर्ता के वकील की तबियत खराब थी, इसलिए मामले को स्थगित करने का अनुरोध कोर्ट से किया गया था। चीफ जस्टिस संजय करोल की खण्डपीठ ने याचिका में दर्ज कैबिनेट मंत्री का नाम को प्रतिवादियों की सूची से हटाने का निर्देश रजिस्ट्री को देते हुए मामले को 7 फरवरी,2022 तक स्थगित कर दिया।
इसी प्रकार से दरभंगा के हायाघाट को नगर पंचायत बनाने को लेकर दायर हुई एक अन्य जनहित याचिका में भारत के महालेखाकार को प्रतिवादी बनाए जाने को लेकर भी कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई थी। खण्डपीठ ने याचिकाकर्ता विश्वनाथ मिश्रा के अधिवक्ता को जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए मामले को निष्पादित कर दिया।